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क्या राजद,चिराग के साथ लोजपा के छह प्रतिशत वोट को लेकर मुस्लिम+यादव+पासवान समीकरण बनाने में सफल होगी? जरूर पढ़ें
बिहार में इस समय बस एक ही मुद्दा छाया हुआ है वह है लोजपा पार्टी में बिखराव का. चाचा पशुपति पारस के दिए जख्म से चिराग पासवान अभी उबर नही पाए हैं और
जे.पी.चन्द्रा का एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ( ये मेरे निजी विचार हैं )
बिहार नेशन: बिहार में इस समय बस एक ही मुद्दा छाया हुआ है वह है लोजपा पार्टी में बिखराव का. चाचा पशुपति पारस के दिए जख्म से चिराग पासवान अभी उबर नही पाए हैं और इतनी जल्दी उबर पाना भी मुशकिल है. वहीं चिराग पासवान का बीजेपी की चुपी पर दर्द भी छलका. उन्होंने चुपी तोड़ते हुए कहा कि मेरे पिता बीजेपी के साथ मुश्किल वक्त में चट्टान की तरह खड़े रहे जबकि कठिन समय में बीजेपी ने उनका साथ छोड़ दिया. यह भी चिराग कह चुके हैं कि इस प्रकरण में जेडीयू का पूरा हाथा है.
वहीं दुसरी तरफ दो माह के बाद दिल्ली से पटना लौटे से तेजस्वी यादव ने कहा कि जब रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा में एक भी सांसद नहीं था तब लालू प्रसाद यादव ने ही दिवंगत रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजा था. इस बयान के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है. महागठबंधन और एनडीए बिहार की छह प्रतिशत वोट को अपने पाले में करने की अपने अपने स्तर से तैयारी कर रहे हैं.
दरअसल, लोजपा में टूट के बाद बिहार में अब नए समीकरण बनाने की तैयारी चल रही है. लालू प्रसाद इसे अपने माई समीकरण की तर्ज पर माई + पी (मुस्लिम + यादव + पासवान) बनाने की कोशिश में हैं. महागठबंधन इस गठबंधन से अपनी वोट बैंक मजबूत करना चाहती है. साथ ही वह एनडीए को जवाब भी देना चाहती है.
अगर महागठबंधन की यह योजना सफल हो गई तो एनडीए के लिए मुश्किल खडी हो सकती है. क्योंकि बिहार में यादवों का 16% वोट राजद की परंपरागत वोट है वहीं बिहार में मुसलमान का वोट 17 प्रतिशत है. ये मुस्लिम वोटर या तो कांग्रेस को सपोर्ट करते हैं या फिर राजद को. इन दोनों वोटों में अभी तक कोई सेंधमारी नहीं कर पाया है. इसमें अगर चिराग पासवान का 6 प्रतिशत वोट मिल जाता है, तो अगले चुनाव में महागठबंधन अपनी सरकार बनाने की स्थिति में होगी.
वहीं सभी पार्टियों का वोट प्रतिशत मिला लिया जाए, तो 16+17+6= 39 फीसदी वोट हो जाते हैं. वहीं, लेफ्ट और कांग्रेस के अलग कैडर हैं, जो हर हाल में कांग्रेस और लेफ्ट को ही वोट देते हैं. ऐसे में चिराग ने यदि पलटी मारी तो एनडीएका पूरा समीकरण ध्वस्त हो जाएगा.
इधर यह भी सत्य है कि बिहार के पासवान वोटर चिराग पासवान को ही असली वारिस लोजपा का मानता है. पशुपति पारस और प्रिंस राज की पहचान रामविलास पासवान की वजह से थी, न कि वो पासवान जाति के नेता से है. ऐसे में यह बात सभी को पता है कि चिराग जिधर जाएंगे पासवान वोटर उधर ही शिफ्ट हो जाएगा. इसे लेकर ही महागठबंधन और एनडीए दोनों की नजर चिराग पर है. लोजपा को इस बार के विधानसभा चुनाव में में 6 फीसदी वोट मिले थें. उसके लिए चिराग ने धन्यवाद भी दिया था.
एक बात और अहम् है कि लोजपा की टूट में भूमिहार नेताओं का हाथ सामने आ रहा है. ऐसे में अगर चिराग की लोजपा राजद के साथ अपना समीकरण बैठाती है, तो पारस गुट लोजपा का हाशिए पर जाना तय है.इससे आने वाले चुनाव में एनडीए को झटका लग सकता है.