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भारत में नोट छापने, इसे बंद करने या फिर नष्ट करने की अनुमति कौन देता है ? जानें डिटेल्स में
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: देश में एकबार फिर से नोट बंदी के बाद इसके चर्चे तेज हो गये हैं। आरबीआई ने दो हजार के नोट तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। लेकिन लोगों के जेहन में हर वक्त यही सवाल उठते रहता है कि इस नोट को कौन और किसकी अनुमति से छापा जाता है। या फिर इसे नष्ट कौन करता है। जबकि देश में किस साल कितने नोट छापे जाएंगे, इसका अंतिम फैसला कौन करता है? तो आपको बता दें कि इस मामले में एक तरह से भारत सरकार का ही अंतिम फैसला होता है।हालांकि, सरकार भी इसे लेकर वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों से चर्चा करती है।
अनुमति लेने का प्रोसेस 2 चरणों में होता है पहले चरण में आरबीआई केंद्र सरकार को नोट छपाई के लिए अर्जी भेजता है। इसके बाद सरकार इस पर आरबीआई के ही वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों के एक बोर्ड के साथ चर्चा करती है। इसके बाद आरबीआई को नोट छापने की मंजूरी दे दी जाती है। इस तरह नोट छपाई की अनुमति के लिए सरकार, बोर्ड और आरबीआई मिलकर काम करते हैं।
इस मामले में जाहिर तौर पर सरकार के पास अधिक अधिकार हैं। सरकार ही तय करती है कि एक साल में कितने रुपये के कितने नोट छापे जाने हैं। इसका डिजाइन और सुरक्षा मानक भी सरकार द्वारा ही तय किए जाते हैं। वहीं, रिजर्व बैंक के पास 10,000 रुपये तक के नोट छापने के अधिकार है। इससे बड़े की नोट की छपाई के लिए आरबीआई को सरकार की अनुमति लेनी होती है।
सरकार और आरबीआई कई मानकों को ध्यान में रखते हुए नोट छपाई का फैसला करते हैं। इसमें जीडीपी, विकास दर व राजकोषीय घाटे आदि को देखा जाता है। इसी के आधार पर कितने भी नोटों की छपाई की जा सकती है। 1956 में एक मिनिमम रिजर्व सिस्टम की शुरुआत की गई। इसके तहत आरबीआई को नोट छापने के लिए अपने पास हमेशा 200 करोड़ रुपये का रिजर्व रखना होगा।
इस रिजर्व में 115 करोड़ रुपये का सोना और 85 करोड़ रुपये की फॉरेन करेंसी होनी चाहिए।ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि किसी भी परिस्थिति में आरबीआई को डिफॉल्टर नहीं घोषित किया जाए। आरबीआई के गवर्नर धारक को नोट के मूल्य के बराबर की रकम अदा करने का वचन देते हैं। उसी वचन को समर्थन के लिए यह रिजर्व रखा जाता है।
आपको बता दें कि भारत में इन नोटों की छपाई नासिक, देवास, मैसूर और सालबनी में की जाती है। इसके बाद ये नोट बैंकों को बांटे जाते हैं। बैंक इन नोटों को अलग-अलग माध्यम से (कैश काउंटर, एटीएम) आम लोगों तक पहुंचाता है। इसके बाद ये नोट कई सालों तक सर्कुलेशन में रहते हैं। यह नोट अंतिम में आरबीआई में पहुंचता है। जिसके बाद RBI निर्णय करता है कि इसे छापना है या नष्ट करना है।