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उत्तरी उमगा पंचायत के वार्ड पति संजय साव ने भरी सभा में हाथ जोड़कर मांगी माफी

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में पंचायतीराज का गठन हुए लगभग एक साल पूरे होने वाला है। पंचायत में कार्य भी जोरशोर से चल रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी मामले समय पर प्रतिनिधियों के आ रहे हैं जिससे ग्रामीणों को पछतावा हो रहा है कि उन्होंने किस जनप्रतिनिधि को चुना। हालांकी मामला वार्ड पति से जुड़ा है।

वार्ड सदस्य और वार्ड पति

दरअसल मामला औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड अंतर्गत उत्तरी उमगा पंचायत के ग्राम अंजनवां से जुड़ा है। यहाँ से वार्ड नंबर -08 के रूप में ग्रामीणों ने वार्ड सदस्य के रूप में रानी देवी का चुनाव किया है। लेकिन वार्ड का सारा कार्य उसका पति संजय साव देखता है। ग्रामीणों का कहना है कि कोई भी कार्य में वार्ड पति ही आता है। उसका व्यवहार ठीक नहीं है। वह तुरंत अपशब्द पर उत्तर आता है। कुछ इसी तरह का मामला गुरुवार सुबह 8 बजे भी घटित हुआ। उत्तरी उमगा पंचायत के सरपंच आलोक कुमार गांव के किसी मामले को सुलझाने के लिए गये हुए थे। उसी दौरान किसी बात को लेकर वार्ड सदस्य पति उनसे बदतमीजी करने लगा और पूरे गांव को लेकर अपशब्द कहा। इसी बात को लेकर मामला बढ़ गया।

इसके बाद सरपंच आलोक कुमार ने रात्रि में सभी ग्रामीणों की मीटिंग बुलाई । बात ग्रामीणों के समक्ष रखा गया। जिसमें वार्ड पति संजय साव दोषी पाया गया। उससे ग्रामीणों ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा। लेकिन वार्ड पति संजय कुमार घर चला गया। किसी की नहीं सुना। इसके बाद ग्रामीणों ने उसके विरुद्ध हस्ताक्षर करवाना शुरू किया। लेकिन इसी बीच वह आ गया । आने के बाद उसने सभी ग्रामवासियों के सामने घूम-घूमकर हाथ जोड़ माफ़ी मांगी और कहा कि वह आज से ऐसी हरकत नहीं करेगा और न ही किसी को अपशब्द कहेगा।

बता दें कि अभी तक इस वार्ड में वार्ड सचिव का चुनाव नहीं हो सका है। ऐसा नहीं है कि चुनाव ही नहीं हुआ है। चुनाव तो कई बार हुआ। लेकिन इस वार्ड पति ने इसमें बार-बार रोङा अटका दिया। ग्रामीणों का कहना है कि पूरा गांव इस वार्ड पति के कारण परेशान है। जब भी वार्ड सचिव का चुनाव होता है यह हस्ताक्षर करने के समय पत्नी रानी देवी वार्ड को घर भेजकर पेंच फंसा देता है। एक बार फिर से वार्ड सचिव के लिए 2 जुलाई को प्रखंड विकास पदाधिकारी के निर्देश पर चुनाव की तिथि निर्धारित की गई है।

वहीं दबे जुबान में ग्रामीणों के बीच यह भी चर्चा है कि इंदिरा आवास के नाम पर प्रत्येक आवास लाभुकों से यह 20-20 हजार रुपये तक धमकी देकर लेता है और पैसे नहीं देने पर अगली किस्त आवास की नहीं दिलवाने की बात करता है। लेकिन सामने आकर बयान देने से सभी डर रहे हैं। ताकि उन्हें अगली किस्त लेने में दिक्कत न हो।

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