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महागठबंधन के घटक दलों में ताकत दिखाने की लगी है होड़, आखिर क्यों जानें!
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए से अलग होने के बाद महा गठबंधन की सरकार चल रही है। इस सरकार में सात दल शामिल हैं तो वहीं तीन दल बाहर से समर्थन दे रहे हैं। लेकिन जिस तरह से महा गठबंधन में हाल के दिनों में देखने को मिल रहा है इससे स्पष्ट पता चलता है कि लगभग सभी घटक दल अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं।
एक तरफ जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा के जरिए राज्य के सभी जिला में पहुंचकर विकास कार्यक्रमों को देख रहे हैं और उसकी समीक्षा कर रहे हैं तो इस क्रम में वें सरकार की योजनाओं को भी लोगों को बता रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस बीच, महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी गरीब संपर्क यात्रा निकालकर अन्य घटक दलों को अपनी ताकत का एहसास करा रहा है। मोर्चा की यह यात्रा नवादा से शुरू हुई है और जहानाबाद, अरवल होते हुए गया तक जाएगी। इसमें कोई शक नहीं कि इन क्षेत्रों में हम मजबूत मानी जाती है। इस यात्रा के जरिए ‘हम’ के नेता लोगों की समस्या देख रहे और उनकी समस्या का निदान की कोशिश में जुटे हैं।
इधर, भाकपा माले ने भी बुधवार को पटना के गांधी मैदान में एक रैली कर अपनी ताकत का एहसास कराया है। गुरुवार से पार्टी अधिवेशन भी कर रही है।
इस दैरान राजधानी को लाल रंग के झंडे से पाट दिया गया है। बुधवार की भाकपा माले की लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ रैली में वक्ताओं ने राज्य सरकार को भी विभिन्न मुद्दों को लेकर घेरने की कोशिश की गई। भाकपा माले सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है।
देखा जाए तो महागठबंधन में शामिल दल अपने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए न केवल अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में गैर भाजपा एक मजबूत गठबंधन बनाने की कवायद भी मानी जा रही है।
वहीं आपको बता दें कि महागठबंधन 25 फरवरी को सीमांचल के पूर्णिया में एक रैली का भी आयोजन कर रही है। इस रैली को महागठबंधन की ओर से लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज माना जा रहा है।
इन सब के बीच एक बात और है। हम पार्टी के सुप्रीमों जीतन राम मांझी ने एक बड़ा बयान दिया है। दरअसल
गरीब संपर्क यात्रा के तहत जीतन राम मांझी अरवल पहुंचे थे। इसी दौरान बेटे और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन को सीएम बनाने की मांग की है। उन्होंने उसके कई कारण बताए। मांझी ने कहा कि संतोष पढ़ा-लिखा है। उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।
मंझी ने कहा मुख्यमंत्री के लिए बहुतों का नाम आता है, वैसे लोगों को पढ़ा सकता है। वह नेट है। प्रोफेसर है। सब कुछ है। सिर्फ यही है कि वह भुइयां जाति से आता है। जो दलित हैं, गरीब तबके के लोग हैं जिसकी आबादी 90 प्रतिशत है, उसका नेतृत्व नहीं होगा? खैर इसका खंडन उनके ही पुत्र एवं बिहार सरकार में मंत्री संतोष कुमार ने कर दिया है।