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ड्यूटी से गायब रहने वाले शिक्षकों की बढ़ेगी टेंशन, सीएम नीतीश ने कहा- बार-बार कह रहे हैं कारवाई कीजिए. .
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में गिरती शिक्षा व्यवस्था को लेकर चौतरफा हमले से घिरे सीएम नीतीश कुमार अब बेहद गंभीर है। उन्होंने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर बीते दिनों बड़ा बयान दिया है। अब वैसे शिक्षकों की टेंशन बढऩे वाली है जिनके लापरवाही के कारण खामियाजा स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।
सोमवार को सीएम के जनता दरबार कार्यक्रम में सरकारी स्कूल की शिकायत लेकर एक फरियादी आया तो सीएम उसकी शिकायत सुनकर चौंक गये। उसके बाद शिक्षा विभाग को जांच व कड़ी कार्रवाई के निर्देश मिले तो पूरा सरकारी तंत्र इस ओर तेजी से सक्रिय हो गया।
सरकारी स्कूलों के वैसे शिक्षक जो ड्यूटी से गायब रहते हैं उनकी टेंशन अब बढ़ने वाली है। साथ ही वैसे शिक्षकों की भी अब मुसीबत बढ़ेगी जो समय से पहले ही बच्चों को स्कूल से घर भेज देते है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसे शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। सीएम ने मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को निर्देश दिया है कि ऐसे शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करें।
दरअसल, सोमवार को सीएम नीतीश कुमार के जनता दरबार कार्यक्रम में एक फरियादी कटिहार से पहुंचा। कटिहार से आये युवक ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं आते। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को फोन लगाकर कहा, यह देखिए नौजवान कटिहार से आया है। यह बता रहा है कि आदर्श मध्य विद्यालय में टीचर पढ़ा नहीं रहे।12:30 बजे छुट्टी दे दे रहे हैं। इसको तुरंत देखिए, एक्शन होना चाहिए।
सीएम ने कहा कि बार-बार हम आपलोगों को कह रहे कि नहीं पढ़ाने वालों पर एक्शन लें। देखना ना होगा कि क्या हो रहा है। हमने मीटिंग में कई बार कहा है। इस पर एक्शन होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर को फोन लगाया और कहा.. अरे हम बगल में भेज देते हैं तो उसको देखते रहिए। आप ही को ना देखना है, उसको देखते रहिए। हालाकि जब शिकायत की जांच करवाई गयी तो स्कूल खुला था और कक्षाएं चल रही थी।
आपको बता दें कि बिहार के कई स्कूलों में यह आम बात है कि शिक्षक समय पर स्कूल नहीं आते हैं और न ठीक से पढ़ाई होती है। बच्चे खेलते रहते हैं लेकिन उनपर कोई ध्यान शिक्षकों द्वारा नहीं दिया जाता है। कई शिक्षक एंड्रॉयड फोन लेकर सोशल मीडिया देखने में लगे रहते हैं । इसके साथ ही कई शिक्षक तो पढ़ाने से बचने के लिए डिप्टेशन करवाकर जिले में बैठे हुए हैं । अगर इसकी जांच सही तरीके से की जाए तो इस मामले में हजारों शिकायतें मिलेंगी।