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कहानी RS Bhatti IPS की: किडनैप रहा महीने भर डॉक्टर का बच्चा, नहीं खोज सकी बिहार पुलिस, 48 घंटे मे आरएस भट्टी ने बरामद किया

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार के नये डीजीपी यानी पुलिस महानिदेशक आरएस भट्टी ने अपना कार्यभार मंगलवार को ही संभाल लिया लिया है। उन्होंने पदभार संभालते ही मुख्यमंत्री से मुलाकात की। लेकिन आरएस भट्टी से जुड़ी कई कहानियाँ बिहार में जुड़ी है। उन्होंने बिहार में कई उलझे मामले को एसपी रहते हुए सुलझाएं थे।
बिहार के नए पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी की गिनती भारतीय पुलिस सेवा के उन गिने-चुने अधिकारियों में होती है जिन्हें क्रिमिनल्स के लिए बेरहम अफसर माना जाता है। बिहार कैडर के आईपीएस अफसर भट्टी जब तक राज्य में रहे, जहां भी रहे अपराधियों के लिए काल साबित हुए, बड़े से बड़े माफिया और डॉन जेल पहुंचा दिए गए।

आरएस भट्टी

लेकिन भट्टी के खौफ का एक दूसरा पहलू भी है जो कई बार सामने नहीं आ पाता है क्योंकि पुलिस की रिकॉर्ड में और पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी क्राइम को क्रैक करने की कहानी ऐसी होती है जो कानून के दायरे में दिखे। आरएस भट्टी से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी जिसका लिखित में कोई रिकॉर्ड तो नहीं मिलेगा लेकिन गोरखपुर-देवरिया से लेकर छपरा-गोपालगंज तक पुलिस और क्रिमिनल में दिलचस्पी रखने वाला हर आदमी उसे जानता है।

कहानी लालू यादव और राबड़ी देवी के युग की जिसे बीजेपी जंलगराज कहती थी। पूरे बिहार में डॉक्टर, व्यापारी और सरकारी अफसर तक फिरौती के लिए किडनैप किए जा रहे थे। फिरौती देकर छूट आने वाला आदमी भी पुलिस के साथ मीडिया के सामने पुलिस की वाहवाही करता था। सच कहना दोनों तरफ से मना था। पुलिस बिना तलाश किए भी अपहृत लोगों को बरामद कर ले रही थी। 1997 में ऐसे ही माहौल में छपरा के बहुत बड़े डॉक्टर राम इकबाल प्रसाद के बेटे रवि की किडनैपिंग हो गई। बहुत बड़ा डॉक्टर मतलब जिसकी प्रैक्टिस बहुत ज्यादा हो, जिसकी कमाई बहुत ज्यादा हो। आज उनके बेटे रवि भी डॉक्टर हैं और दिल्ली में एक बड़े अस्पताल में काम करते हैं।

कहा जाता है कि रवि अपहरण कांड के समय छपरा में प्रत्यय अमृत डीएम थे और राम लक्ष्मण सिंह एसपी। हल्ला हो गया कि 2 करोड़ फिरौती मांगी गई है। मांगी गई या नहीं, इसका पता नहीं चला लेकिन बच्चा कई दिनों तक नहीं मिला। हंगामा शुरू हुआ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हड़ताल कर दी। सरकारी तो सरकारी, प्राइवेट क्लिनिक तक बंद हो गए। राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई, मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टरों के हाथ-पांव जोड़ने पड़े। लेकिन इसका असर ये हुआ कि छपरा तो छोड़िए, पटना में डीजीपी से लेकर जितने तरह के ब्रांच पुलिस के होते हैं, सब के सब एक्टिव हो गए। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पुलिस के हाथ कोई सुराग ही नहीं लग पा रहा था।

वहीं थक-हारकर हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की एक टीम लालू यादव से मिलने गई। सबने लालू से कहा कि रवि अपहरण कांड का चार्ज गोपालगंज के एसपी को दिया जाए। कहा जाता है कि लालू ने अपने ही परिवार के कुछ बहके लोगों को शांत करने के लिए भट्टी को गोपालगंज भेजा था। डॉक्टरों की इस मांग पर लालू झट से तैयार हो गए। उन्हें लगा कि केस का चार्ज गोपालगंज एसपी को देने से अगर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म होती है तो इसमें क्या बुरा है। लालू ने डॉक्टरों की मांग मान ली और ऐलान कर दिया कि अब इस केस को आरएस भट्टी देखेंगे।

लेकिन आरएस भट्टी उस समय बिहार में थे ही नहीं। छुट्टी पर अपने घर पंजाब गए हुए थे और सात दिन बाद वापस लौटने वाले थे। बिहार के डीजीपी ने भट्टी के घर फोन लगाया तो पता चला कि वो घर पर भी नहीं हैं और स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने अमृतसर गए हैं। किसी तरह बिहार के डीजीपी ने उनसे संपर्क साधा और उनकी लालू यादव से बात कराई गई। लालू ने भट्टी से कहा कि बिहार पुलिस की प्रतिष्ठा फंस गई है और सारे डॉक्टर चाहते हैं कि आप इस केस को देखिए। आप छुट्टी खत्म करके वापस लौट आइए। भट्टी को विशेष विमान से पटना बुलाया गया।

आरएस भट्टी पटना पहुंचकर कुछ देर डीजीपी से मिले। फिर शायद लालू यादव से भी मिले। आईपीएस मेस में दिन का खाना खाकर भट्टी छपरा निकलने वाले थे इससे पहले कुछ पत्रकार पहुंच गए जिसमें वो खुद भी शामिल थे। पत्रकारों ने पूछा- क्या होगा। भट्टी ने कहा- क्या होगा, क्या नहीं होगा, नहीं पता, लेकिन केस 48 घंटे में क्रैक हो जाएगा। पत्रकारों ने पूछा- कोई लीड मिली है, आरएस भट्टी ने कहा- अब तक नहीं। पत्रकारों ने कहा कि जिस केस को पूरी बिहार पुलिस एक महीने में सॉल्व नहीं कर पाई है उसे आप 48 घंटे में कैसे कर लेंगे, समय बढ़ाकर 72 घंटा कर दें। भट्टी ने कहा- आपकी मर्जी।

भट्टी पटना से निकले, छपरा पहुंचे। सबसे पहले डॉक्टर राम इकबाल प्रसाद के घर गए। फिर छपरा एसपी राम लक्ष्मण सिंह से मिले। छपरा में मुश्किल से आधा घंटे रुकने के बाद भट्टी गोपालगंज चले गए जहां के वो एसपी हुआ करते थे। सब चौंक गए। छपरा में कैंप करने के बदले भट्टी गोपालगंज चले गए हैं। लेकिन आरएस भट्टी का काम करने का यही तरीका है। भट्टी के छपरा से निकलने के 48 घंटे के अंदर बच्चा यूपी के मिर्जापुर से सकुशल बरामद कर लिया गया।

अब तो हर तरफ भट्टी की जयकार होने लगी। सबको आश्चर्य होने लगा कि जिस बच्चे को बिहार पुलिस की दर्जनों टीम महीने भर तक नहीं खोज सकी, उसे भट्टी ने आते ही 48 घंटे में कैसे रिकवर कर लिया। बच्चे के बरामद होने के बाद पुलिस ने बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। बच्चे के बरामद होने की पुलिसिया कहानी बताई गई जिसमें कानून पर कोई आंच नहीं आती हो। लेकिन सबका दिमाग इस बात पर लगा था कि भट्टी ने ऐसा क्या जादू किया कि एक महीने से किडनैप बच्चा 48 घंटे में मिल गया।

कहा जाता है कि आरएस भट्टी ने बच्चे को सकुशल बरामद करने का प्लान पंजाब से पटना के रास्ते में ही ऑपरेशन प्लान कर लिया था। भट्टी ने मान लिया था कि पुलिस को जितनी मेहनत करनी थी, वो कर चुकी है, फिर भी कोई सुराग नहीं मिला तो वो 48 घंटे में कोई कमाल नहीं कर सकते। लेकिन डॉक्टरों ने उन पर जितना बड़ा भरोसा जताया है उसमें उनके पास समय बर्बाद करने का वक्त नहीं था। गोपालगंज पहुंचने से पहले भट्टी रोडमैप बना चुके थे कि बच्चे का पता कैसे लगाया जाए।

गोपालगंज में बैठकर भट्टी ने छपरा, सीवान, हाजीपुर, मोतिहारी, बेतिया, गोरखपुर और देवरिया के एसपी को फोन करके आग्रह किया कि आपके जिले के टॉप 5 क्रिमिनल का नाम चाहिए, चाहे वो जेल में हों या बाहर हों। लिस्ट आ गई। इससे आगे का ऑपरेशन पुलिस रिकॉर्ड में नहीं मिलेगा। भट्टी ने एक टास्क फोर्स बनाई और अपने जिले गोपालगंज के अलावा बिहार-यूपी के 7 जिलों के 40 सबसे बड़े क्रिमिनल के घर और परिवार पर बेइंतहा दबिश बना दी। ऐसी दबिश कि क्रिमिनल बाप-बाप कर उठे। घर की औरतों का रोना-धोना शुरू हो गया। कहा तो यहां तक जाता है कि सबके परिवार से एक-एक आदमी लापता हो चुका था। किसी का भाई, किसी का बच्चा। भट्टी की ट्रिक काम कर गई। तीर अंधेरे में चलाया गया था लेकिन निशाने पर लग गई।

उस समय कहा गया कि भट्टी ने सभी एसपी से कहा था कि आपके पास इन क्रिमिनल परिवार से कोई आए और कहे कि हमारे परिवार को क्यों परेशान किया जा रहा है तो उन्हें गोपालगंज के एसपी यानी भट्टी से बात करने कह दिया जाए। नतीजा ये हुआ कि एक महीने से जिस बच्चे को बिहार की पुलिस तलाश रही थी, उसे छपरा, गोपालगंज, सीवान, हाजीपुर, मोतिहारी, बेतिया, गोरखपुर और देवरिया के 40 बड़े क्रिमिनल खोजने लगे। सबकी पूंछ भट्टी के पांव के नीचे दबी थी। ये सारे क्रिमिनल आपस में बात कर रहे थे कि जब किडनैप हमने नहीं किया तो हमारे परिवार को क्यों निशाना बनाया जा रहा है, हमारा परिवार क्यों परेशान है, हमारे बच्चे क्यों परेशान हैं। खोजो, सब मिलकर खोजो, किसने किया है ये काम।

भट्टी ने गोपालगंज में बैठे-बैठे आठ जिलों के अंडरवर्ल्ड में कोहराम मचा दिया। खलबली ऐसी मची कि इन 40 में ही एक क्रिमिनल ने भट्टी के पास कबूल कर लिया कि बच्चा उसके पास है, बच्चा सुरक्षित है और उसे मिर्जापुर में रखा गया है। इस क्रिमिनल का बच्चा जिस दारोगा के पास था वो भट्टी के बहुत ही भरोसेमंद पुलिस अधिकारी थे। भट्टी ने उस क्रिमिनल को गोपालगंज में ही रखा और छपरा पुलिस को मिर्जापुर का ठिकाना बताकर भेजा। कहा जाता है कि भट्टी ने इस क्रिमिनल से कहा कि किडनैप बच्चा जिस हालत में मिलेगा, तुम्हारा बच्चा भी उसी हालत में मिलेगा। छपरा पुलिस मिर्जापुर गई और बच्चा बताई जगह पर मिल गया। बच्चे को सकुशल छपरा लाया गया।

लेकिन इसमें सबसे बड़ी जो बात निकलकर सामने आई वह यह कि किडनैपिंग का सूत्रधार खुद उनका क्लीनिक का कम्पाउंडर निकला। वह उनके ही क्लीनिक में कम्पाउंडर था। इसलिए जब भी कोई कारवाई की जाती थी पुलिस की सारी जानकारी लिक हो जाती थी। वह कम्पाउंडर घर का भेदी निकला। इस कारण से पुलिस कई बार पुलिस के हाथ सुराग लगते-लगते रह गया।

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