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विशेष रिपोर्ट: रूसी हमले से यूक्रेन तबाह, कौन-सा देश किस तरफ से है ? क्या होगी भारत की भूमिका,सबकुछ पढें
जे.पी.चन्द्रा की विशेष रिपोर्ट
बिहार नेशन: पूरा विश्व एक बार तृतीय विश्व युद्ध की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। सुपर पावर रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। खबरें आ रही हैं कि रूस् के द्वारा किये गये मिसाइल हमले में यूक्रेन के कई ठिकाने तबाह हो गये हैं । पूरी दुनियां दो गुटों में बंटता जा रहा है।
एक तरफ रूस के नेतृत्व में चीन, बेलारूस, कजाकस्तान, ईरान जैसे देश जुड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ यूक्रेन के समर्थन में ब्रिटेन, अमेरिका , फ्रांस, कनाडा जैसे देश लामबंद हो रहे हैं । रूस ने अमेरिका को धमकी दी है कि यूक्रेन को नाटो संगठन का सदस्य न वह बनाए । नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे ।
वहीं दूसरी तरफ खबर है कि अमेरिका के नेतृत्व में सभी नाटो के सदस्यों ने यूक्रेन को 24 घंटे के अंदर सदस्य बनाने पर सहमति प्रदान कर दी है। इस तरह से अगर यूक्रेन नाटो ( North Atlantic Treety Organisation) का सदस्य बन जाता है तो फिर सभी नाटो के सदस्य रूस पर हमला करेंगे ।
क्योंकि इस संगठन के तह्त यही प्रावधान है कि अगर नाटो के किसी सदस्य पर कोई अन्य देश हमला करता है तो वह सभी देशों पर हमला माना जाता है। आपको बता दें कि अभी नाटो में 30 सदस्य हैं ।
इसी बीच भारत की भूमिका को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है कि भारत क्या करेगा । क्योंकि भारत के संबंध रूस के साथ भी प्रगाढ़ रहे हैं । वहीं यूक्रेन से भी संबंध अच्छे हैं । इसे लेकर भारत की दुविधा बढ़ गयी है। वैसे भारत की वैदेशिक नीति हमेशा से गुटनिरपेक्षता की रही है। खबर ये भी आ रही है कि यूक्रेन ने रूस के साथ भारत की नजदीकी रिश्ते को लेकर उससे मदद मांगी है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि “बिहार नेशन ” न्यूज नहीं करता। है । वहीं इस मामले में इस्लामी देश सउदी अरब के संबंध भी अब अमेरिका के साथ पहले जैसे नहीं रहे । और उसने भी इसपर बीच का रास्ता अपनाते हुए दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। हाल के वर्षों में रूस के साथ सउदी अरब के रिश्तों में बदलाव आया है और रिश्ते मजबूत हुए हैं । वहीं पाकिस्तान विश्व का पहला इस्म्लामिक देश है। पाकिस्तान के पीएम अभी रूस के दौरे पर हैं । ऐसे में यह संदेश जाएगा कि वह रूस के साथ है। जबकि पहले से वह हमेशा अमेरिका को समर्थन करता रहा है। हालांकि पाक पीएम इमरान के इस दौरे को इस समय राजनीतिक जानकार अनुचित समय मान रहे हैं ।