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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: पटना नगर निकायों के चुनाव में एक बार फिर से मेयर पद के लिए सीता साहू ने बाजी मार ली है। वे इस पद पर दोबारा चुन ली गई हैं। सीता साहू ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी डॉ. महजबीं को 79,606 वोट से पराजित किया। सीता साहू को कुल एक लाख 54 हजार 791 वोट मिले।
वहीं विनिता बिट्टू तीसरे स्थान पर रहीं। शुक्रवार की शाम रिजल्ट की घोषणा के बाद निवार्ची पदाधिकारी एवं पटना के डीडीसी तनय सुल्तानिया ने उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किया। यह एक ऐतिहासिक जीत है। इस मायने में कि वे पटना की पहली महिला मेयर पार्षदों के द्वारा चुनी गईं और इस बार नए नियम के तहत जनता ने सीधे वोट कर जिताया है। रिजल्ट का परिणाम मिलते ही सीता साहू के समर्थकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। सभी ने एक -दूसरे को मिठाई बांटकर व गुलाल लगाकर बधाई दी।
इस बार मेयर पद की वोटिंग जहां काफी कम हुई, वहीं इस पद पर खड़े कुल 32 प्रत्याशियों में से केवल आठ प्रत्याशियों को ही 10 हजार से अधिक वोट मिले। इनमें डॉ. महजबीं, विनिता सिंह बिट्टू, रजनी देवी, माला सिन्हा, मधु मंजरी, सरिता नोपानी, रीता रस्तोगी, पिंकी यादव व अन्य शामिल रहे।
इस चुनाव में बड़ा उलटफेर भी चुनाव मैदान में दिखा। जैसे कुछ पार्षद मेयर के पद पर खड़े हुए और हार गए। मेयर पद की रेस में वार्ड नंबर 44 की पार्षद रहीं माला सिन्हा पांचवें स्थान पर रहीं। उन्होंने 17903 वोट हासिल किए। वार्ड 44 पर आशीष चंद्र यादव विजयी रहे। मेयर के पद पर चुनाव लड़ रहीं डिप्टी मेयर को वोटरों ने पार्षद पद से भी बेदखल कर दिया।
आपको बता दें कि नगर निगम के मेयर पद के लिए उतरे 32 उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबले से 29 उम्मीदवार बाहर रहे। 12 उम्मीदवारों को 5 हजार वोटों पर ही मतदाताओं ने सीमित कर दिया। आठ प्रत्याशी ही 10 हजार की सीमा को पार कर सके। निगम की डिप्टी मेयर रहीं रजनी देवी को मेयर पद के चुनाव में चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा। रजनी देवी पार्षद पद के लिए वार्ड 22 सी से चुनाव लड़ रही थी। वार्ड नंबर 23 से निवर्तमान पार्षद प्रभा देवी को इस बार हार का मुंह देखना पड़ा।
ये है मेयर और नयी नगर सरकार की दस चुनौतियां
1. शहर की साफ सफाई व्यवस्था को बेहतर करना और देश भर में स्वच्छता रैंकिंग में सुधार करना.
2. शहर को अतिक्रमण से मुक्त करना और अवैध निर्माण पर कार्रवाई करना.
3. स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों को जल्द से जल्द पूरा करवाना.
4. नये मोहल्लों में बुनियादी सुविधा मसलन नाला और सड़क का निर्माण कराना.
5. शहर को स्थाई रूप से जल जमाव की समस्या से मुक्त करना.
6. नगर निगम में नये कर्मियों की कमी को पूरा करना और समय-समय पर होने वाले सफाई कर्मियों के हड़ताल पर रोक लगाना.
7. बोर्ड की बैठक में बगैर विवाद के विकास के मुद्दों को पास करना.
8. नये फंड विकसित करना और राज्य सरकार के फंड का पूरा उपयोग कर पाना.
9. निगम के वार्षिक बजट में पास विकास योजनाओं को जमीन पर उतार पाना.
10. नये भवनों मसलन निगम मुख्यालय और अंचल कार्यालयों का निर्माण करना.