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शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन: जानिए, कर्मकांड मुकेश पाठक से कि किस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: देश में दुर्गापूजा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। नवरात्रि में सभी उत्साहित हैं। हर साल शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से नवरात्रि शुरू हो जाती है। वहीं इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरु हो गई है। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड अंतर्गत पाठक बिगहा निवासी कर्मकांड मुकेश पाठक बताते हैं कि इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आई हैं। माता रानी पूरे नौ दिनों तक अपने भक्तों के बीच रहती हैं। इन दिनों मां की भक्ति में सभी लोग तल्लीन रहते हैं। इन नौ दिनों का महत्व जीवन में बहुत ज्यादा है। सभी दिनों मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसमें आज नवरात्रि का सातवां दिन है और इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जायेगी।
आज नवरात्रि का सातवां दिन है। आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। देवी मां का ये रौद्र रूप माना जाता है। मां कालरात्रि इस रूप में असुरों का वध करती हैं। आज के दिन निशा पूजा का भी विधान है। मां के इस रूप का सवारी गधा है। मां कालरात्रि मधु कैटभ जैसे दानवों का वध की हुई हैं।
आज के दिन सच्चे मन से मां की आराधना करने से मां सबकी मुरादें पूरी करती हैं। मां की चार भुजाएं हैं। आज के दिन मां को लाल पुष्प चढ़ाएं और लाल रंग के वस्त्र पहनकर ही पूजा करें। आज के दिन ही निशा पूजा की प्रधानता है। ये पूजा रात में की जाती है। इसमें मां के कालरात्रि रूप की महा पूजा की जाती है। कहते हैं इसमें जो भक्त मां की सच्ची भक्ति करते हैं। उन पर मां का विशेष आशीर्वाद रहता है।
देवी के इस रूप की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। यह रूप को सभी राक्षसों, भूतों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करने वाला होता है। कालरात्रि का रंग सबसे अंधेरी रातों का है, जिसमें भरपूर बाल और एक स्वर्गीय आकार का रूप है। माता के चार हाथ हैं- बाएं दो हाथों में एक कैंची और एक वज्र है और दाहिने दो वरद (आशीर्वाद) और अभय (रक्षा) मुद्रा में हैं।
कर्मकांड मुकेश पाठक ने पूजा कि विधियों के बारे में भक्तों को बताया कि भक्त निम्न तरीके से मां की पूजा करें :
• स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-
• मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
• मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
• मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
• मां को रोली कुमकुम लगाएं।
• मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल अर्पित कर आरती करें।
मां कालरात्रि का मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नम: ṃ देवी कालरात्रयै नम:
मां कालरात्रि मंत्र- मां कालरात्रि मंत्र :
या देवी सर्वभूतेषु मॉम कालरात्रि रूपेण थियता नमस्तस्यैै नमस्त्स्यै नमो नम: