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बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर रास्ता साफ़, पटना हाईकोर्ट ने दी सशर्त मंजूरी
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर की जा रही राजनीति को पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को समाप्त कर दिया है। अदालत ने नगर निकाय के चुनाव का रास्ता अति पिछडे़ के आरक्षण के साथ साफ कर दिया है। नगर निकाय चुनाव पर फजीहत झेलने और हाई कोर्ट के फैसले के बाद बैकफुट पर आयी बिहार सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने की कवायद शुरू कर दी है।इसके लिए नीतीश सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग आयोग (ईबीसी) का गठन कर दिया है। गठित आयोग बिहार में उन जातियों का पता लगाएगी, जिन्हें पर्याप्त राजनीतिक भागीदारी नहीं मिल रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आयोग का अध्यक्ष नवीन कुमार आर्य को बनाया हैं। अरविंद निषाद, ज्ञान चंद पटेल और तार केशर ठाकुर को आयोग का सदस्य बनाया गया है। सभी सदस्यों को गुरुवार सुबह 10:30 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने को कहा गया है। नवीन आर्य जदयू प्रदेश के महासचिव हैं जबकि अरविंद निषाद जदयू के प्रवक्ता हैं।
उल्लेखनीय है कि पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं पर आज सुनवाई की। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे़ वर्ग के राजनीतिक पिछडे़पन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है। ये कमीशन राज्य में अति पिछडे़ वर्ग में राजनीतिक पिछडे़पन पर अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी। इसके बाद राज्य सरकार के रिपोर्ट के आधार पर राज्य चुनाव आयोग राज्य में नगर निकायों का चुनाव कराएगी। कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार व अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को निष्पादित कर दिया।
अब ईबीसी कमीशन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के आलोक में रिपोर्ट देना है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आने के बाद बिहार के निकाय चुनाव कराए जायें। इसके लिए 2005 में अस्तित्व में आए बिहार ईबीसी आयोग को बतौर डेडिकेटेड कमीशन राजनैतिक पिछड़ापन से जुड़े सारे आंकड़े जल्द से जल्द इकठ्ठा कर संभवतः 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी और उस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग बिहार में निकाय चुनाव अधिसूचित करेगा। इन सारी बातों पर सहमति बनने के बाद सरकार एवं चुनाव आयोग की ओर से याचिका को वापस ले लिया गया । राज्य सरकार के बैकफूट पर जाने से हाईकोर्ट के चार अक्टूबर का फैसला यथावत रह गया ।
गौरतलब हो कि बिहार में नगर निकायों के चुनाव दो चरणों में 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को संपन्न होने थे । लेकिन पटना हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर को ही रोक लगा दी थी। इसके बाद से ही बिहार में राजनीतिक पार्टियों के बीच आरक्षण को लेकर राजनीति शुरू है।