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नक्सली नेता संदीप यादव के दामाद ने किया जेल से परीक्षा देकर JRF क्वालीफाई, फंसे थे ईडी के गलत केस में, ये है पूरी कहानी !
जे.पी.चन्द्रा की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
बिहार नेशन: कहा जाता है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। न वह किसी के दबाने से दबती है और न किसी के छुपाने से छुपती है। चाहे परिस्थितियां व्यक्ति के सामने कुछ भी क्यों न हो ! कुछ इसी तरह के अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले गजेंद्र नारायण ने । उन्होंने विकट परिस्थितियों में भी इतिहास विषय में जेआरएफ नेट पास करके जिले का नाम रौशन किया है।
गजेन्द्र नारायण औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के खिरीयावां पंचायत के बरडीह गांव निवासी हैं । केंद्रीय विद्यालय दिल्ली में शिक्षक गजेन्द्र नारायण ने यूजीसी नेट में जेआरएफ की परीक्षा पास की है। उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित यूजीसी/जेआरएफ-2022 परीक्षा में जेआरएफ के रूप में सफलता हासिल की। इस परीक्षा में उन्होंने 98.66 पर्सेंटाइल हासिल किया है।
दरअसल उनकी कहानी किसी फिल्मी दुनियां से नहीं है कम ?
दरअसल ईडी द्वारा कथित रूप से गलत केस में फंसने के बाद गजेंद्र नारायण जेल में बंद थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। जेल से में ही पढ़ाई करने के बाद उन्होंने यूजीसी द्वारा आयोजित जेआरएफ नेट परीक्षा में 98.66 परसेंटाइल लाया और जिले का नाम रौशन किया। गजेंद्र नारायण सेंट्रल स्कूल दिल्ली में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं, जो नक्सली नेता संदीप यादव के वे दामाद हैं। उनके पिता इंजीनियर हैं। 4 साल पहले संदीप यादव को सरेंडर कराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों ने गजेंद्र नारायण के कैरियर से खिलवाड़ किया। उन्हें आय से अधिक के एक झूठे मुकदमे में फंसाया गया। जिसके कारण वे साल 2020 के शुरुआत में ही जेल जाना पड़ा था। जहां उन्होंने जेल से ही परीक्षा की तैयारी की और परिणाम सबके सामने है।
गजेन्द्र नारायण रहे बेऊर जेल में 2 साल बंद
आपको बता दें कि ईडी ने जिस 11 लाख 38 हजार रुपये के फ्लैट खरीदने के मामले में केस दर्ज कर जेल भेजवाया था, उससे कहीं ज्यादा वे वेतन पा चुके थे। गजेंद्र ने बताया कि उन्होंने तब तक 36 लाख रुपये के आसपास वेतन प्राप्त किया था लेकिन 11 लाख 38 हजार रुपये के अनियमितता करने के मामले में ईडी ने उन पर केस दर्ज किया। इस मामले में उन्होंने पटना में सरेंडर किया था। जिसके बाद उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया था। उनके जीवन के लगभग 2 साल 8 माह का बहुमूल्य समय बेवजह जेल में बर्बाद हुआ। गजेंद्र ने बताया कि जेल में उन्होंने एक- एक दिन गिनकर काटे हैं। इस दौरान समय बिताने के लिए पुस्तकें पढ़ते थे।
ये है उनसे जुड़ा पूरा मामला
गया जिले के बांकेबाजार प्रखंड के बाबूरामडीह के रहनेवाले 35 लाख रुपये के इनामी मृत नक्सली नेता संदीप यादव के खिलाफ फरवरी 2018 में ईडी ने कार्रवाई करते हुए 86 लाख रुपये की संपति जब्त कर ली थी। संपति जब्ती की कार्रवाई के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी। इस कार्रवाई के दौरान नक्सली नेता के दामाद यानी दिल्ली के सर्वोदय नगर में पदस्थापित गजेन्द्र भी ईडी की लपेटे में आ गए। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद उन्होंने 13 जनवरी 2020 को पटना कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। 22 सितंबर 2022 को वे जेल से बाहर आए। जेल में बंद रहने के दौरान उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। बाहर आने के बाद परीक्षा दी और जेआरएफ में सफल हुए।
परिजनों एवं शुभचिंतकों ने दी शुभकामनाएंः
गजेंद्र नारायण अब अपने जीवन को नए तरीके से शुरू करना चाहते हैं। वे अब जेएनयू में जाकर पीएचडी करेंगे। जेआरएफ पास करने के बाद उन्हें अब 35 हजार रुपये प्रति माह स्कॉलरशिप मिलेगी। जिससे वे पीएचडी पूरी करके बिहार में ही प्रोफेसर की नौकरी करना चाहते हैं। गजेंद्र नारायण ने उच्च शिक्षा बीएचयू से प्राप्त की है। गजेंद्र की सफलता पर उनके परिजनों एवं शुभचिंतकों ने उन्हें शुभकामनाएं दी है।
वहीं उनके गांव बरडीह में परिवार में खुशी का माहौल है। उनके परिवार के सदस्य और पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि रंजीत यादव कहते हैं. . .
” हम सभी परिवार के सदस्यों के लिए वह क्षण बेहद दर्द भरा था जब उनके भाई गजेन्द्र नारायण को गलत तरीके से फंसाकर जेल में डाला गया था। जबकि उनका इससे कुछ मतलब नहीं था। वे अपने मेहनत और लगन के बदौलत ऊपरवाले पर विश्वास करके हमेशा आगे बढ़ रहे थे। लेकिन उनका कीमती समय को फंसाकर बर्बाद किया गया। खैर, सच्चाई की जीत हुई है। हम सभी परिवार के सदस्य इस सफलता से काफी खुश हैं। परिवार की शुभकामनाएं और प्यार उनके साथ है। वे और आगे बढ़े और जिला का नाम देश में रौशन करें । ईश्वर से प्रार्थना है”।
खिरियावां पंचायत मुखिया प्रतिनिधि, रंजीत यादव
” वहीं गजेन्द्र नारायण ने अपनी शब्दों में बयां करते हुए कहा कि. . .
जेल से ही जेआरएफ की तैयारी की और परीक्षा दिया। जेल से बाहर आने के बाद जब नेट का रिजल्ट आया तो इतिहास विषय में 98.66 परसेंटाइल नम्बर आया। खुद पर पूरा भरोसा था कि परीक्षा में अच्छे अंक जरूर आएंगे। जीवन में सिर्फ पढ़ाई की है। कभी किसी तरह का गैरकानूनी कार्य नहीं किया है। जेल में एक-एक दिन गिनकर काटे हैं। समय बिताने के लिए पुस्तकें पढ़ते थे”-
गजेंद्र नारायण,जेआरएफ क्वालीफाई