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मंथन: अक्सर आपदा में बिहार के सांसद-विधायक गायब क्यों हो जाते हैं,कहीं इसके जिम्मेवार हम-आप तो नहीं हैं ?पढ़ें ये विशेष रिपोर्ट..
बिहार हमेशा से बदहाल स्थिति में रहा है। यहाँ के नेता खासकर विकास से ज्यादा राजनीति को त्वोजोह देते हैं । जिस संकट के समय मे उन्हें जनता के बीच होना चाहिए वे अपने परिवार के साथ या तो आराम से जिन्दगी बीता रहे होते हैं या फिर कहीं छुप जाते हैं ।
जे.पी.चन्द्रा ( ये मेरे निजी विचार हैं )
बिहार नेशन: बिहार हमेशा से बदहाल स्थिति में रहा है। यहाँ के नेता खासकर विकास से ज्यादा राजनीति को त्वोजोह देते हैं । जिस संकट के समय मे उन्हें जनता के बीच होना चाहिए वे अपने परिवार के साथ या तो आराम से जिन्दगी बीता रहे होते हैं या फिर कहीं छुप जाते हैं ।
लेकिन दरसल सवाल यह उठता है कि ऐसे नेताओं को जनता चुनाव में जिताती ही क्यों है ? तो इसका सीधा सा जवाब है बिहार कि राजनीति हमेशा से विकास से नहीं जात और जमात से चलती है। यहाँ के सामाजिक संरचना को इस तरह से रखा ही है नेताओं ने कि जनता इससे उपर उठ ही नहीं पाती हैं ।
आपको याद होगी कुछ वर्ष पहले की घटना जब बिहार में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी थी और चारो तरफ़ पानी ही पानी राजधानी पटना में था । पूरी व्यवस्था लाचार और बेबस नजर आई थी । लेकिन उस समय पप्पू यादव जो जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमों हैं दिल खोलकर और अपनी जान दाँव पर लगाकर लोगों की मदद की थी. लेकिन जनता ने उन्हें भी चुनावों में नकार दिया. इसबार भी वे कोरोना पीड़ितों की मदद कर रहे थें लेकिन उन्हें राजनीति का शिकार होना पड़ा और फिलहाल वे जेल में हैं. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील मोदी थें ,जो अभी फिलहाल बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं ।
लेकिन उस समय तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील मोदी का एक फोटो काफी तेजी से वायरल हुआ था जिसमें वे अपने परिवार के साथ पडोसियों को भी उनके हाल पर छोड़कर चले गये थें । यह बात मैं यहाँ इसलिए कह रहा हू़ं क्योंकि राज्य के किसी संवैधानिक पद पर वे थें । उनकी जिम्मेवारी बनती थी कि वे पटना वासियों की इस मुश्किल वक्त में मदद करें । लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।
आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं यहाँ ये सब बातें क्यों बता रहा हू़ं । तो दरअसल बात यह है कि इस बार भी बिहार में भयावह स्थिति कोरोना संक्रमण के कारण बनीं हुई है लेकिन कई सांसद और विधायक अपने क्षेत्रों से गायब हैं । कई प्रतिनिधियों के खिलाफ तो बजावता उनके क्षेत्र के लोगों ने लापता का पोस्टर भी लगा दिया है।
पटना के अन्तर्गत दो लोकसभा की सीट है। एक पाटलिपुत्रा सीट है जहाँ से बीजेपी के सांसद रामकृपाल यादव हैं और दूसरी सीट है पटना साहिब जहाँ से सांसद हैं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद । लेकिन इन दिनों में कितना फर्क है देखिए । जहाँ एक तरफ इस कोरोना संक्रमण की विपदा में सांसद रामकृपाल यादव क्षेत्र के लोगों के लिये रात-दिन डटे हैं तो दूसरी तरफ पटना साहिब से जीते सांसद रविशंकर प्रसाद गायब हैं ।
इसी बीच शनिवार को सांसद रामकृपाल यादव दानापुर के सगुना मोड़ के डीएवी स्कूल पहुंचे जहाँ दीनदयाल अंत्योदय योजना से गरीबों के लिये सामुदायिक किचेन का संचालन किया । उन्होंने खुद गरीबों को भोजन भी परोसा । इस दौरान उन्होंने कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र के हरेक ब्लॉक और नगर पंचायत में गरीबों के लिये मुफ्त भोजन की व्यवस्था की गई है।
लेकिन इस समय पटना के अस्पतालों की कितनी भयावह स्थिति है उसे बताने की आपको जरूरत नहीं है। सभी जान रहे हैं । इस कोरोना जैसी आपदा में बिहार सरकार केवल लाचार और बेबस बनकर देखती रही है । जबकि अस्पतालों में मेडिकल सुविधाएं न रहने के कारण कई लोगों ने दम तोड़ दिया । ऑक्सीजन और दवाओं के कालाबाजारी का किस्सा है सो अलग । ऐसे में लोगों का सवाल पूँछना जायज है की उनके जनप्रतिनिधि कहां गायब हैं । लोगों को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी । उन्हें भी किसी भावना या लालच में बहकर चुनावों के समय में मतदान करने से बचना होगा।