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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: सावन का पावन महीना आज से यानी 14जुलाई से शुरू हो रहा है। सावन को श्रावण मास भी कहा जाता है। यह महिना भगवान् शिव को समर्पित है। लोगों में मानयता है कि इस महीने में भगवान् शिव से जो भी मांगी जाती है। वह पूरी हो जाती है। इस महीने में भगवान् शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा-अर्चना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए। इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए। सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए। इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें। सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
भगवान शिव की पूजा में इन सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है – पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
सावन महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें आप गंगाजल व दूध से स्नान कराएं। साथ ही साथ उनपर चंदन का लेप लगाए और भांग, सुपाड़ी, बिल्वपत्र और धतूरा चढ़ाएं। इस महीने में शिव जी की आरती करें और पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय का जाप करें।
वहीं श्रावणी मेले में आज से कांवरियो का जलार्पन शुरू हो जाएगा। हालांकि बुधवार को भी गुरू पूर्णिमा पर हजारों श्रध्दालुओं ने भोलेनाथ पर जल अर्पित किया। जबकि इस मेले में कांवरियो को कोई दिक्कत न हो उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम हैं । साथ ही जगह-जगह पर चिकित्सकों की भी तैनाती की गई है। ताकि किसी की तबीयत खराब होने पर तुरंत उसका उपचार हो सके।