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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: आज देश में रोड कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। जिसके तहत सरकार द्वारा रोड हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। लेकिन कई बार इसे लेकर लोगों के जेहन में यह सवाल आता है कि ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है क्या ?
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, जैसा कि नाम से जाहिर है कि इन्हें हरे मैदानों या खेतों के बीच से निकाला जाता है। यहां भूमि अधिग्रहण आसान होता है, जमीन समतल होती है और शहर से थोड़ा दूर होने के कारण भीड़-भाड़ भी कम होती है। इसलिए इन एक्सप्रेसवे को बनाना और फिर यहां उच्च गति पर वाहन का परिचालन करना आसान होता है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को शहरों के बीच से कम ही निकाला जाता है इसलिए इन्हें घुमाव और मोड़ काफी कम होते हैं। इससे एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट की दूरी काफी कम हो जाती है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की एक और पहचान है कि इन्हें वहां बनाया जाता है जहां पहले कभी रोड ना रही हो।
ये हैं ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के उदाहरण
देश में 22 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने की योजना है। फिलहाल ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का उदाहरण देखें तो दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे, नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर, हैदराबाद-रायपुर कॉरिडोर, इंदौर-हैदराबाद कॉरिडोर, खड़गपुर-सिलीगुड़ी, दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर और रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर इसमें शामिल है।
यह है हाईवे और एक्सप्रेसवे में अंतर
हाईवे आमतौर पर शहरों के बीच से ही निकलते हैं। इन पर गाड़ियों की अधिकतम स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा सकती है। एक्सप्रेसवे पर यह स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है।एक्सप्रेसवे पर चढ़ने-उतरने के लिए डेडिकेटेड पॉइंट होते हैं जबकि हाईवे पर कहीं से भी चढ़ा-उतरा जा सकता है।