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अगर टूटती है LJP तो क्या होगा चिराग का राजनीतिक भविष्य,क्यों पहली बार BJPअसहाय दिख रही है,जरूर पढ़े
: बिहार में इस समय सियासी तूफान खड़ा हो गया है। एलजेपी में टूट की बड़ी खबर सामने आ रही है। चिराग पासवान को छोड़कर चाचा, चचेरे भाई समेत्त पार्टी के तमाम पांच सांसदों ने
जे.पी.चन्द्रा की विशेष राजनीतिक रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में इस समय सियासी तूफान खड़ा हो गया है। एलजेपी में टूट की बड़ी खबर सामने आ रही है। चिराग पासवान को छोड़कर चाचा, चचेरे भाई समेत्त पार्टी के तमाम पांच सांसदों ने बगावत का सुर अख्तियार कर लिया है। वे जेडीयू में जानेवाले हैं । लेकिन सवाल यह उठता है की इन सांसदों को पार्टी छोड़कर जाने से क्या मिलेगा ? दूसरा सवाल यह है कि चिराग पासवान को क्या बीजेपी अब उतना महत्व देगी । लेकिन ये दोनों सवालों के जवाब गर्भ में है और इसका जवाब समय आने पर ही पता चलेगा।
भले ही चिराग पासवान को छोड़कर एलजेपी के पाँचों सांसद पार्टी छोड़ रहे हैं लेकिन अभी भी एलजेपी के सर्वमान्य नेता चिराग पासवान ही हैं लोजपा सुप्रीमों रामविलास पासवान ने अपने निधन से पूर्व ही चिराग पासवान को स्थापित कर दिया था । इसलिये उनकी जगह चाचा पशुपति पारस नहीं ले सकते हैं । पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता चिराग का साथ नहीं छोड़नेवाले हैं । ऐसी स्थिति में बीजेपी भी नहीं चाहेगी की वह चिराग पासवान को इग्नोर कर जेडीयू को बेलगाम होने दे और राजद की ताकत को बढ़ा दे।
मालूम हो कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने जेडीयू को अर्श से फर्श पर ला दिया था। उस चुनाव में एलजेपी ने यह साबित कर दिया था की वह अकेले चुनाव जीत नहीं सकती है तो किसी को भी हराने की ताकत जरूर रखती है। जेडीयू को तो एलजेपी ने कम से कम 30 सीटों का नुकसान दिया था। भले ही एलजेपी को एक भी सीट न मिली हो लेकिन उन्होंने एलजेपी की क्षमता को दिखा दिया कि उन्हें नजर अंदाज करना भारी भूल थी नीतीश कुमार के लिये। बीजेपी इस बात को बखूबी समझती है। उसे पता है की अगर एलजेपी आरजेडी के साथ जाएगा तो आरजेडी हाथों पर उठा लेगी । क्योंकि इससे तेजस्वी के जीत की राह और आसान हो जाएगी । जबकि सबसे अधिक नुकसान होगा तो वह है बीजेपी ।
वहीं इन सबके बीच राजनीतिक जानकारों का मानना है की बीजेपी की मजबूरी है दोनों को साथ लेकर चलना । मतलब न वह जेडीयू को छोड़ना चाहती है और न एलजेपी को । भले ही यह बात अलग है कि जेडीयू के विरोध के कारण एलजेपी को मोदी कैबिनेट में जगह न मिले। लेकिन बीजेपी पहली बार इतना कमजोर दिख रही है। यहाँ एक बात और है की एलजेपी के पांचों सांसद भले ही जेडीयू में चले जाएंगे लेकिन कोई विशेष फायदा किसी को होनेवाली नहीं है क्योंकि ये सभी बीजेपी और एलजेपी की गठबंधन से चुनाव जीते हैं। बीजेपी चाहेगी आगामी लोकसभा चुनाव में भी एलजेपी और जेडीयू को जोड़कर रखा जाए. जो सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के लिए हैं.