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एक्सक्लूसिव: मदनपुर, रफीगंज एवं देव के जंगलतटीय इलाकों में सूखने लगे नदी, नाला, आहर, पोखर एवं बढ़ गई अगलगी की घटनाएं
जे.पी.चन्द्रा की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले में गर्मी का सितंब जारी है। बढ़ रही तापमान की वजह से धरती भी अब तपने लगी है। खासकर पहाड़ी इलाकों में तो तापमान के बढ़ जाने से ग्रामीणों के जीवन का बूरा हाल हो गया है। सुबह 9 बजे के बाद घरों से निकलकर काम करना मुश्किल हो गया है। मतलब आप यूँ कह सकते हैं कि जंगली क्षेत्रों में रेगिस्तान जैसे हालात पैदा हो गये हैं । वहीं इन क्षेत्रों में नदी, नाला, आहर, पोखर के अलावा इलाके की अन्य जल स्रोत सूखने लगे हैं। पानी का जलस्तर तेजी से नीचे की ओर भागने लगा है। हालात यह हो गया है कि कुएं के तल में पानी नहीं दिख रहा है। चापाकल पानी देना बंद कर दिया है। ग्रामीण अपने पशु के साथ वैसे गांवों में डेरा जमाए हैं, जहां उन्हें एवं पशु के जीवन बचाने के लिए पानी मिल रहा है।
सबसे भयावह स्थिति मदनपुर, देव, कुटुंबा, नवीनगर एवं रफीगंज प्रखंड के पहड़तली इलाके में उत्पन्न हुआ है। देव एवं मदनपुर के जंगलतटीय इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मचा है। चिलचिलाती धूप और उमसभरी गर्मी के बीच सूखते गले को तड़ करने के लिए लोग पानी की तलाश में सुबह से ही जुट जाते हैं। ऐसे में जिनका अपना बोरिंग काम कर रहा है वो तो खुशनसीब माने जा रहे हैं, मगर परेशानी उनकी बढ़ी हुई है जो पीने की पानी की लिए लिए घंटों जद्दोजहद करते रहते हैं । या पानी की आस में सप्लाई वाटर का घंटों बाट जोहते रहते हैं।
वहीं इस गर्मी के कारण प्रतिदिन ग्रामीण इलाकों में अगलगी की घटनाएं घट रही है। ग्रामीणों के खेतों में फसल जलकर उनके सामने ही राख हो जा रही है। हाल के दिनों में जिले में कई जगहों पर सैकड़ों बीघा फसल जलकर नष्ट हो गई है। हालांकि आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से अलर्ट जारी किया गया है। वहीं अग्निशमन विभाग के कर्मी एवं दमकल को अलर्ट पर रखा गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा ग्रामीणों को अगलगी से बचाव के बारें में जरूरी बातें बताई जा रही है।खलिहानों को आबादी से दूर रखने की सलाह दी जा रही है तो वहीं थ्रेसर का उपयोग करते समय डीजल इंजन या ट्रैक्टर के साइलेंसर को लंबे पाइप के द्वारा ऊंचाई पर रखें।
जबकि खलिहानों के आसपास रेत भरकर रखने की सलाह तो रोशनी के लिए सोलर लैंप, टॉर्च और बैट्री वाले यंत्र का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। खलिहान वैसी जगह बनाए जहाँ जल स्रोत नदी , तालाब, पईन या फिर बोरिंग नजदीक हो। बिजली की नंगी तार को बिल्कुल न वहाँ तक खीचें । दो खलिहानों के बीच की दूरी 20 मीटर से अधिक हो। इन सारी सावधानियों का ध्यान रखकर जान-माल और फसलों की क्षति से बचा जा सकता है।