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जे.पी.चन्द्रा की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
बिहार नेशन: कश्मीर घाटी में लगातार हो रही एक के बाद एक हिन्दुओं की हत्या ने देश की राजनीति को एक बार फिर से गरम कर दिया है। अब तक 26 दिनों में कुल 10 हिन्दुओं की हत्या हो चुकी है। इस हत्या से बीजेपी पर विपक्षी पार्टियों को भी निशाना साधने का मौका मिल गया है। अब कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने भी हो रही हत्याओं को लेकर मोदी सरकार को घेरा है । साथ ही इसकी निंदा करते हुए घाटी में लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की मांग की है।
जबकि सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तो केंद्रीय गृह मंत्री से इस्तीफे तक की मांग कर दी है। सुब्रमण्यम स्वामी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि अमित शाह घाटी में हो रही हिन्दुओं की हत्याओं को रोकने में विफल साबित हुए हैं । उनकी रूची खेल में अधिक है। उन्हें खेल मंत्री बना देना चाहिए । उन्होंने कहा कि वहाँ राष्ट्रपति शासन है। केंद्र की जिम्मेवारी है कि वह कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा दे।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रवीन्द्र शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर में आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम निर्दोष लोगों की हत्याओं को रोकने के लिए एक तत्काल और प्रभावी रणनीति की मांग करते हैं।”
देश के पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटील ने तो इशारों में गृह मंत्री से इस्तीफे भी मांगा। उन्होंने कहा कि यह धर्म आधारित राजनीति के कारण हो रहा है। सरकार लोगों को सुरक्षा देने में विफल साबित हुई है। हमने भी नैतिक जिम्मेवारी लेकर इस्तीफा दिया था।
जबकि बिहार में हम पार्टी के सुप्रीमों और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बेतुका बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर को बिहारियों को सौंप दें। समस्या का हल हो जाएगा ।
वहीं घाटी में इस्लामी आतंकवादियों द्वारा हिन्दुओं के टार्गेट किलिंग को लेकर गृह मंत्री अमित शाह हाइ लेवल की मीटिंग कर रहे हैं । इससे अंदाजा है कि कुछ बड़ा होगा। बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देनेवाला अनुच्छेद 370 को हटा दिया है जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि घाटी में फिर से कश्मीरी पंडितों को वहाँ बसाया जाएगा और उनकी पुनर्वापसी होगी।
हालांकि मेरा मानना है कि घाटी में हालात पहले से बेहतर हुए हैं । इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है। जहाँ पहले सामूहिक हत्याएं इस्लामी आतंकवादियों द्वारा लगातार किया जाता था उसमें अब कमी आई है। पत्थरबाजी भी समाप्त हो गई है, न के बराबर हो रही है। ये उपलब्धियां कम नहीं कही जा सकती हैं । परंतु जो समस्या सबसे बड़ी थी पलायन की । जो 90 के दशक में पलायन हुआ था वह फिर से होना शुरू हो गया है। कश्मीरी पंडित फिर से पलायन करने लगे हैं । जिसकी तस्वीरें भी आ रही हैं । मोदी सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। इसे लेकर रणनीति बनाने की जरूरत है।