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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में जातीय जनगणना 07 जनवरी से ही शुरू है । इसके तहत पहले मकानों की गणना की जा रही है। लेकिन इस जाति जनगणना का शिक्षकों की ओर से विरोध भी शुरू हो गया है। लेकिन अब उन्हें राज्य सरकार ने राहत दी है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिला पदाधिकारियों एवं जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि जातीय गणना में सहायक शिक्षकों की सेवाएं नहीं ली जाएं।
अपर मुख्य सचिव ने यह साफ किया है कि उन सहायक शिक्षकों को मुक्त किया जाये, जो इंटरमीडिएट वार्षिक प्रायोगिक परीक्षा 2023 से संबंधित हैं। अपर मुख्य सचिव दीपक सिंह ने सभी जिला पदाधिकारियों को लिखे पत्र में लिखा है कि राज्य में चल रही जाति गणना में शिक्षकों की सेवा लिये जाने की वजह से इंटरमीडिएट वार्षिक प्रायोगिक परीक्षा के संचालन पर विपरीत असर पड़ रहा है। इंटर प्रायोगिक परीक्षा 10 जनवरी से 20 जनवरी तक आयोजित की जानी है।
बता दें कि बिहार में सरकारी शिक्षकों को जातीय जनगणना की ड्यूटी पर लगाया गया है। सूबे में 7 जनवरी से जातीय जनगणना के पहले चरण का काम शुरू हो गया है। इधर प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। वहीं दो शिक्षकों और एक प्रिंसिपल की मौत भी पिछले दिनों हुई है। शेखपुरा और मधुबनी के दो शिक्षकों की मौत इस ठंड में हो गयी। बताया जा रहा है कि दोनों की ड्यूटी जनगणना कार्य में लगी थी।
वहीं आपको बताते चलें कि बिहारिपोर्टतीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर कर दी गई है। इसपर याचिका दायर नालंदा के एक युवक ने किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में सुनवाई करने को तैयार भी हो गया है। युवक ने इस जातीय जनगणना को असंवैधानिक बताया है। शुक्रवार को इसपर फैसला आना है।