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धनतेरस आज और कल दो दिन, जानें पूजा विधि और खरीदारी का शुभ मुहूर्त, राशि के अनुसार ये चीजें खरीदे

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बाजारों में धनतेरस की रौनक है। लोग इसे लेकर काफी उत्साहित हैं । क्योंकि दीपों का त्योहार दीपावली का एक अलग ही महत्व होता है। लेकिन एक बात और इस बार की दीवाली के धनतेरस को लेकर है।
इस बार त्रयोदशी तिथि दो दिन होने से दोनों दिन धनतेरस मनाया जाएगा। त्रिपुष्कर योग का संयोग भी बन रहा है। अनेक श्रद्धालु पहले दिन 22 अक्टूबर को दीप प्रज्वलित करेंगे।

दीवाली पूजा ऑफर

वहीं दूसरे दिन भी लोग धनतेरस मनाएंगे। ज्योतिषियों का मानना है कि त्रयोदशी तिथि 22 और 23 अक्टूबर को दोनों दिन सायंकालीन प्रदोष काल में है। पहले दिन द्वार पर दीप प्रज्वलित करके खाताबही का पूजन किया जा सकता है और दूसरे दिन सूर्याेदय यानी उदया तिथि वाली त्रयोदशी पर भगवान धनवंतरि की पूजा और सोना, चांदी, अन्य धातुओं की खरीदारी करना श्रेष्ठ होगा।

दीवाली

ज्योतिषियो के अनुसार 22 अक्टूबर की शाम प्रदोष काल में 6.02 बजे से त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है, जो 23 अक्टूबर को 6.03 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि को महत्व दिया जाता है इसलिए 23 अक्टूबर को भगवान धनवंतरि और हनुमानजी की पूजा करें। इस दिन त्रिपुष्कर योग, नीच भंग राजयोग, सवार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग तथा गुरु, बुध, शुक्र और शनि के स्वग्रही रहते धनतेरस की खरीदारी शुभ होगी।

ऐसे करें पूजा

धनवंतरी को भगवान विष्णु का अंश अवतार भी बताया गया है। इसीलिए धनतेरस के दिन प्रात:काल धनवंतरी पूजन के पूर्व यदि विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण किया जाए तो पूजन का पूर्ण फल मिलेगा। आम की लकड़ी के पाटे पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक के मध्य एक पूजा सुपारी को गुलाब जल से स्वच्छ कर भगवान धनवंतरी के रूप में स्थापित कर पूजन करें। चांदी के पात्र या किसी भी अन्य पात्र में चावल से बने खीर का भोग लगाएं। तुलसी का पत्र अर्पित करें।

ये मंत्र जाप करें

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतंए

अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।

गूढं निगूढं औषध्यरूपम्

धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

वहीं प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से डेढ़ घंटे तक यमराज के नाम पर द्वार पर दक्षिण दिशा में दीप प्रज्वलित करके दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

ऐसे करें दीप प्रज्वलन

गेहूं के आटे का एक बड़ा दीपक बना लें। गेहूं के आटे से बने दीपक में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे शांत करने की क्षमता होती है। दो लंबी बत्तियां एक-दूसरे पर आड़ी रखें। दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुंह दिखाई दें। तिल डालकर, रोली, अक्षत, पुष्प पूजन कर इसे गेहूं की ढेरी बनाकर रखें और प्रज्वलित करें। दक्षिण दिशा में रखकर ऊं यमदेवाय नमः का जाप करें। साथ में 13 दीपक भी प्रज्वलित करें।

राशि के अनुसार क्या खरीदें

मेष- पति या पत्नी के लिए स्वर्ण, रजत

वृषभ – सजावट की सामग्री, वाहन, किचन के आइट्म

मिथुन – देव प्रतिमाएं हरा रत्न जड़ा ब्रेसलेट

कर्क – मोती, वस्त्र, स्वर्ण, घर, प्लॉट

सिंह – लॉकर, अलमारी, वाहन, कंप्यूटर, रजत के आभूषण

कन्या – गैस चूल्हा, किचन का सामान, पन्ना रत्, घर, प्लॉट

तुला – लाइट डेकोरेशन, पर्दे, स्वर्ण की अंगूठी

वृश्चिक – देव मंदिर, सजावट सामग्री, मूंगा और स्वर्ण का हार

धनु – माता के लिए कोई आभूषण, पुखराज, लक्ष्मी यंत्र

मकर – उपयोगी यंत्र, वाहन, स्वर्ण और रजत

कुंभ – पानी भरने का घड़ा, स्वर्ण सिक्का

मीन – मोती और पुखराज, वाहन, वस्त्र, घर, प्लॉट

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