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सीएम नीतीश दिल्ली से पटना लौटे और पहुंच गए दीघा गंगा घाट.. दी शिवानंद तिवारी की पत्नी को श्रद्धांजलि

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी की धर्मपत्नी विमला देवी का
आज यानि मंगलवार को पटना के दीघा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीघा घाट पर स्व० बिमला देवी के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन किया तथा पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

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इस दौरान सीएम के साथ-साथ पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, पूर्व मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी, विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के पुत्र विधायक राहुल तिवारी सहित अन्य जन प्रतिनिधिगण एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

सीएम नीतीश सांत्वना देते शिवानंद तिवारी को
सीएम नीतीश सांत्वना देते शिवानंद तिवारी को

नीतीश कुमार आज ही दिल्ली से पटना लौटे हैं। वे कर्नाटक और दिल्ली के दौरे पर थे।कर्नाटक में जहां वे कांग्रेस की सिद्धारामैया सरकार के शपथ ग्रहण में कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ शामिल हुए वहीं दिल्ली प्रवास के दौरान नीतीश कुमार ने सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ मुलाकात की थी और विपक्षी एकता की चर्चा की। नीतीश कुमार ने केन्द्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के विरोध का समर्थन किया। नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मिल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर जाकर मुलाकात की और विपक्षी एकता को लेकर चर्चा की.इस दौरान राहुल गांधी भी मौजूद रहे थे।

बताते चलें कि बिमला देवी को 15 मई को उनको पारस अस्पताल में इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था और सोमवार को उनका निधन हो गया.उनके निधन की सूचना खुद शिवानंद तिवारी ने सोसल मीडिया के जरिए दी थी.निधन की सूचना पुर सीएम नीतीश कुमार ,डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत कई नेताओं ने दुख जताते हुए श्रद्धांजलि दी थी।

वहीं अस्पताल में बिमला देवी के भर्ती कराये जाने के बाद शिवानंद तिवारी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा था कि जिसमें उन्होने बिमला देवी से 1965 में हुए शादी और उनके साथ बिताये खट्टे मीठे अऩुभवों को शेयर किया था। शिवानंद तिवारी ने लिखा कि हमलोगों का विवाह 1965 में हुआ था। निठाह गंवई लड़की। पढ़ाई लिखाई ना के बराबर। जबकि स्कूल दरवाज़े पर था। लेकिन उन दिनों गाँवों में ब्राह्मण परिवार की लड़कियों को स्कूल भेजना मर्यादा के खिलाफ माना जाता था। हमारा गवना हुआ था। उसके बाद ही मुझे उनका दीदार हुआ था। लंबी कहानी है।

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