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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: रुस -यूक्रेन के युद्ध के बीच अपने देश लौटे मेडिकल के छात्रों के लिए खुशखबरी है। उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही थी कि अब उनका क्या होगा। लेकिन अब उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। देश के मेडिकल रेग्यूलेटरी बाडी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने इस चिंता को आज खत्म कर दिया है।
एनएमसी ने एक सर्कुलर जारी कर जानकारी दी है कि अब अपनी इंटर्नशिप अधूरी छोड़कर देश आने वाले विदेशी मेडिकल स्नातक स्क्रीनिंग टेस्ट पास करने के बाद इंटर्नशिप भारत में ही पूरी कर सकेंगे। एक सर्कुलर में एनएमसी ने कहा है कि यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों द्वारा कोरोना और युद्ध का सामना किया गया है। और इस पीड़ा और तनाव को देखते हुए उनके आवेदनों पर राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते उम्मीदवारों ने विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा को भारत में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए आवेदन करने से पहले उत्तीर्ण कर ली हो।
एनएमसी का यह फैसला यूक्रेन छोड़कर भारत आए सैकड़ों मेडिकल छात्रों के लिए मददगार हो सकता है, जिन्हें देश पर रूस के चल रहे सैन्य आक्रमण के कारण अपना पाठ्यक्रम छोड़ना पड़ा था। एनएमसी ने कहा है कि यदि उम्मीदवार मानदंडों को पूरा करता है तो राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा 12 महीने की इंटर्नशिप या शेष अवधि, जैसा भी मामला हो उसके लिए अनंतिम पंजीकरण दिया जा सकता है।
बता दें कि कई दिनों से रूस द्वारा यूक्रेन पर किये गये हमले के कारण भारतीय छात्रों के सामने परेशानी आ गई है। वे अपने देश किसी तरह लौट तो रहे हैं लेकिन उनके सामने अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने का दवाब आ गया है। क्योंकि किसी को नहीं पता है कि इस युद्ध का कब समाधान दोनों देशों के बीच निकलेगा । ऐसी परिस्थिति में वें मझधार में फंसे हैं । यहाँ यह भी आपको बता दें कि मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए बड़ी संख्या में भारत से यूक्रेन छात्र जाते हैं । क्योंकि वहाँ का फ़ी स्ट्रक्चर भारत के प्राइवेट संस्थानों की तुलना में बहुत कम है। वहाँ 35 लाख रुपये के लगभग में मेडिकल की पढ़ाई पूरी हो जाती है। लेकिन वहीं इसके लिए भारत में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं ।