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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: मेडिकल छात्रों को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। अब गरीब छात्र भी मेडिकल की पढ़ाई कर सकेंगे । इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने एलान किया है कि अब प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर ही फ़ीस लगेगा। इस बारे में पीएमओ की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा है कि , ‘हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी।’ सरकार के इस फैसले का फायदा उन गरीब छात्रों को मिलेगा जो पैसे की के चलते मेडिकल की पढ़ाई करने से चूक जाते हैं।
आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत सरकार के फरवरी में दिए आदेश का लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे को मिलेगा जो डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं।
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने 3 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि देश के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस जिस प्रदेश में कॉलेज स्थित हैं, उस प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस के बराबर होगी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज किसी भी तरह का अन्य शुल्क फीस के ऊपर नही वसूल पाएंगे।
इसके साथ ही बाकी की प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटों में फीस पर NMC ने आदेश दिया था कि बची हुई 50 फीसदी सीटों की फीस को जिस राज्य में मेडिकल कॉलेज स्थित है उस राज्य की फीस रेगुलेटरी अथॉरिटी तय करेगी।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की जिन 50 फीसदी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर फीस का प्रावधान भारत सरकार ने किया था, उसमें वरीयता मेरिट के आधार पर मिलेगी यानी नीट परीक्षा की रैंकिंग के आधार पर मिलेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में करोड़ो की फीस की वजह से जो छात्र यूक्रेन जैसे देशों में सस्ती फीस की वजह से जाते थे उनकी संख्या में कमी आएगी और ऐसे छात्र भारत के ही मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर पाएंगे।
आपको बता दें कि देश में एमबीबीएस की पढ़ाई काफी मंहगी होने के कारण गरीब छात्र इसकी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं वहीं अधिकतर छात्र विदेश भी चले जाते हैं । अभी भारत के सैकड़ों छात्र यूक्रेन में फंसे हैं जो मेडिकल की पढ़ाई करने गये थे। हालांकि भारत सरकार उन्हें लाने के लिए ऑपरेशन गंगा चला रखी है। इससे बाहर जानेवाले छात्रों की संख्या में कमी आने की संभावना है।