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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय ने हत्या के एक काफी पूराने मामले में एकमात्र जीवित अभियुक्त विनय सिंह को दोषी ठहराया है। यह मामला तीन दशक पुराना है। दरअसल हत्या के इस मामले में एडीजे दस ने मदनपुर थाना कांड संख्या 38/92 में निर्णय पर सुनवाई करते हुए अभियुक्त को भारतीय दंड विधान की धारा 302 और 120 बी में दोषी पाते हुए बंधपत्र विखंडित कर जेल भेज दिया। वहीं सजा पर सुनवाई आगामी 24 फरवरी को होगी। आपको बता दें कि इस मामले में 21 मार्च 1992 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि मदनपुर थाना क्षेत्र के खिरियावां गांव निवासी नान्हू सिंह ने मदनपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि भतीजा अजीत कुमार उर्फ कल्लू 20 मार्च 1992 को शाम 6:00 बजे खिरियावां स्थित घर से मदनपुर दुकान जाने के लिए निकला। उसी समय गांव के कुछ लोगों ने बताया कि अभियुक्तों से किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था।
जिसके बाद अगले दिन सुबह पता चला कि मदनपुर
खिरियावां रोड स्थित शहादत हुसैन के खेत में अजीत की
लाश पड़ी है। सूचना आकर जब आनन-फानन में घटनास्थल पर पहुंचा तो देखा कि धारदार हथियार से अजीत की गला रेत कर हत्या कर दी गई है। जिसके बाद पांच लोगों को अभियुक्त बनाया गया था।
अधिवक्ता ने बताया कि दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक सभी अभियुक्त उसी गांव के निवासी ब्रह्मदेव सिंह, प्रवेश सिंह, विनोद सिंह, लक्ष्मण बढ़ई और विनय सिंह हैं। जिनपर आरोप गठन हुआ था। लेकिन सभी पांचों अभियुक्तों में से एक मात्र जीवित अभियुक्त विनय सिंह ही बचा है।