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औरंगाबाद: मदनपुर ब्लॉक में पंचायत समिति के सदस्यों ने किया बैठक का बहिष्कार, पदाधिकारी थे बैठक से गायब
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड में मंगलवार को प्रखंड प्रमुख श्रीमती सोनी देवी के द्वारा बुलाई गई समिति सदस्यों और पदाधिकारियों की बैठक बिना किसी कार्य के बहिष्कार की भेंट चढ़ गया। प्रखंड में आयोजित इस बैठक में संबंधित विभागों के पदाधिकारियों के नहीं रहने के कारण सभी पंचायत के समिति सदस्यों ने सर्वसम्मति से बैठक का बहिष्कार कर दिया। बता दें कि यह सामान्य बैठक सभी पंचायत समिति के सदस्यों एवं सभी विभाग से संबंधित पदाधिकारियों के लिए बुलाई गई थी। इस सदन के सामान्य बैठक का उद्देश्य पदाधिकारियों के समक्ष प्रखंड क्षेत्र की जन समस्याओं को अवगत कराना एवं उसका निराकरण करना था।
वहीं बैठक के बहिष्कार होने के बाद इस बाबत प्रमुख सोनी देवी ने औरंगाबाद जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल को चिठ्ठी लिखकर अनुपस्थित पदाधिकारियों के विरुद्ध आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने इस चिठ्ठी के माध्यम से आरोप लगाया है कि पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण प्रखंड के विकास के कार्यों में शिथिलता आ रही है। प्रमुख का इस बारें में कहना है कि जनप्रतिनिधियों को जनता विकास के कार्यों को करने के लिए चुनकर भेजती है। लेकिन पदाधिकारी इस बात को समझकर भी नासमझ बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर प्रखंड क्षेत्र में विकास नहीं होगा तो इसका जवाब कौन देगा ? जनता जनप्रतिनिधियों से काम करने को लेकर दवाब बनाती है। लेकिन पदाधिकारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। प्रमुख ने कहा की पंचायत समिति सदस्यों के सामान्य बैठक में प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों की अनुपस्थिति बहुत ही खेद का विषय है। पदाधिकारियों का बैठक से अनुपस्थित रहना विकास के प्रति घोर लापरवाही को दर्शाता है।
आपको बता दें कि मदनपुर प्रखंड प्रमुख के द्वारा आयोजित की गई सभी पंचायत समिति के सदस्यों एवं पदाधिकारियों के इस बैठक में अंचलाधिकारी, बाल विकास पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, आपूर्ति पदाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी, सहकारिता पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा), कल्याण पदाधिकारी, थानाध्यक्ष मदनपुर, सलैया, समन्वयक एवं प्रखंड साधनसेवी ने भाग नहीं लिया ।
गौरतलब हो की बिहार में भले ही पंचायत के विकासात्मक कार्यों में तेजी लाने के लिए पंचायतीराज का गठन कर दिया गया है, लेकिन विकास के कार्य अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रहे हैं । इसके लिए जब प्रखंडों में जनप्रतिनिधियों के द्वारा बैठक का आयोजन किया जाता है तो प्रखंड के पदाधिकारियों की उदासीनता इसपर भारी पड़ जाती है। वे अधिकतर बैठक से नदारद रहते हैं। परिणाम यह होता है कि कई योजनाओं के विकास की गति पदाधिकारियों के अनुपस्थित रहने के कारण सुस्त पड़ जाती है।