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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले का शहर इन दिनों अतिक्रमणकारियों से भरा पड़ा है। अतिक्रमण का आलम यह है कि शहर में नागरिकों को दस कदम चलने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। खासकर अगर बात करें शहर में रमेश चौक और कचहरी मोड़ की तो लोग यहाँ बिना किसी मजबूरी के आने से कतराते हैं । यहाँ सुबह पांच बजे से सड़क पर सूमो, बस एवं टेंपो चालकों का कब्जा हो जाता है। सड़क किनारे बेतरतीब गाड़ियां खड़ी हो जाती हैं। घर से जो लोग टहलने निकलते हैं उन्हें भी चौक पार करने में परेशानी होती है।
जबकि शहर की फुटपाथ को फल, सब्जी व अन्य दुकानदारों ने पूरी तरह अतिक्रमित कर लिया है। शहर के रमेश चौक, मुख्य बाजार, महाराजगंज रोड, ओवरब्रिज, कचहरी, रामाबांध समेत सभी मुख्य जगहों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। रमेश चौक पर बसें खड़ी रहती है परंतु अधिकारी कुछ नहीं बोलते हैं। अगर अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए कारवाई की जाती है तो कुछ देर के लिए वे सामान इधर-उधर कर हट जाते हैं। उनके जाते ही फिर से अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो जाता है। मतलब ऐसा नजारा देखने को मिलता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। अधिकारियों द्वारा इनके खिलाफ सख्त कारवाई नहीं होने से इनका मनोबल दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है।
मालूम हो कि शुक्रवार यानी 22 नवंबर को अधिकारियों के द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई। सामान जब्त किया गया परंतु कुछ असर नहीं दिखा। शनिवार को स्थिति पहले की तरह सामान्य रही। वहाँ के निवासियों का कहना है कि सुबह से शाम तक शहर में जाम लगी रहती है। रमेश चौक से आगे जाने में डर लगता है। रमेश चौक से नगर थाना की दूरी मात्र 500 मीटर है परंतु जाने में आधे घंटे समय लगता है। फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा है।
वहीं सिधु कमल, प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, औरंगाबाद का कहना है कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। फुटपाथ को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जाएगा। नागरिकों को कोई परेशानी न हो इसका ख्याल रखा जा रहा है। अतिक्रमण हटाने का अभियान लगातार चलता रहेगा।
इस बारें में वहाँ की जनता का कहना है कि अधिकारियों द्वारा कारवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। केवल नाम की कारवाई की जाती है। जनता ने सवाल किया कि क्या अधिकारियों के न चाहने के बाद भी अतिक्रमण शहर में हो सकता है