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जे.पी.चन्द्रा की विशेष रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले के मंडल कारा से कारतूस मिलने के मामला ने अब अधिकारियों से लेकर प्रशासन महकमे तक की नींद उड़ा दी है। इसे लेकर जांच चल रही है। लेकिन शनिवार की इस घटना से कहीं न कहीं कई सवाल खड़े होते हैं । साथ ही जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। आखिर जेल के अंदर कारतूस कैसे पहुंचा।औरंगाबाद मंडल कारा में कई कुख्यात नक्सली बंद हैं। जेल के अंदर वार्ड से कारतूस मिलना यह दर्शाता है कि जेल की सुरक्षा को लेकर अधीक्षक गंभीर नहीं हैं। जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कहीं न कहीं सेंधमारी हुई है।
कारतूस बरामदगी मामले में जेल अधीक्षक सुजीत कुमार झा के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि शनिवार की सुबह 5.15 बजे से जिला प्रशासन की टीम ने जेल में छापेमारी शुरू की। कई थानों की पुलिस छापेमारी करने पहुंची थी।सभी वार्डों की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान ही बंदी जयशंकर सिंह के झोला में रखे पैंट के पाकेट से कारतूस बरामद किया गया। कारतूस मिलते ही जेल में छापेमारी कर रहे अधिकारी सकते में आ गए। अधिकारियों को लगा कि जेल में कारतूस मिला है तो पिस्टल भी होगा। पिस्टल की तलाश में अधिकारियों ने जेल का कोना कोना छान मारा लेकिन पिस्टल नहीं मिली।
सवाल ये है कि आखिर सुरक्षा के इतने सख्त इंतजाम होते हुए जेल के अंदर कारतूस कैसे पहुंच गया। क्या सुरक्षा में कहीं चूक हुई या फिर सुरक्षाकर्मियों की मिलीभगत से कारतूस को जेल के अंदर पहुंचाया गया।जेल अधीक्षक के अनुसार अधिकारियों ने सुबह 8.04 बजे तक छापेमारी की। कारतूस के अलावा कई सामान बरामद हुए हैं जिसकी जांच चल रही है। इस मामले में अब जेल के कर्मियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वहीं अब यह भी कहा जा रहा है कि बिना जेल प्रशासन के मिलीभगत के कारतूस अंदर नहीं भेजा जा सकता है। वहीं एसडीपीओ गौतम शरण ओमी ने कहा है कि इस पूरी घटना की जांच की जा रही है।