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एक्सक्लूसिव: मदनपुर के घोरहत मोड़ से दर्जी बिगहा मोड़ तक जान हथेली पर रखकर जाते हैं लोग, लेकिन क्यों? जानें . .
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार के गांव -कस्बों में सड़कों का अतिक्रमण आम बात है। लेकिन यह चिंता का विषय तब बन जाता है। जब नेशनल हाईवे का भी लोगों द्वारा अतिक्रमण किसी न किसी रूप में किया जाने लगे। चाहे वह अतिक्रमण अस्थायी ही क्यों न हो या फिर जानबूझकर किया जा रहा हो। कुछ इसी तरह की खबर औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के नेशनल हाईवे से जुड़ा है।
आप मदनपुर से औरंगाबाद जिले की तरफ जानेवाली नेशनल हाईवे को देखें तो मदनपुर के घोरहत मोड़ से लेकर दर्जी बिगहा मोड़ तक गंदगी का अंबार है। यह सड़क के दक्षिणी तरफ की बात है। दक्षिणी तरफ सड़क को देखें तो नेशनल हाईवे पर कूड़ा और लोगों द्वारा फेंकी जा रही गंदगी का अंबार दर्जी बिगहा पेट्रोल पंप के पास तक हमेशा मिलेगा। इतनी दूर तक सड़क से सटे ऐसी गंदगी है कि आप वहाँ से पैदल की तो बात ही छोड़ दीजिए बाइक से भी गुजरना मुश्किल बहुत मुश्किल होता है। जो इस रास्ते से जाते भी हैं वे कुछ समय के लिए नाक दबाकर पार करते हैं। वहीं इतनी दूर तक इस गंदगी के कारण कितनी बार सड़क दुर्घटना के भी शिकार लोग हो गए हैं । लेकिन इसके बावजूद वहाँ पर जस की तस स्थिति बनीं हुई है। यहाँ तक कि हाल ही में ताराडीह गांव निवासी एक व्यक्ति की भी सड़क के पास साइकिल से जाते समय गाड़ी रौंदकर पार हो गया था! जिसकी घटना स्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी।इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर वहां पर सड़कों के किनारे आने जाने के लिए फूट पाथ बना रहता या नेशनल हाईवे के किनारे कचरा नहीं रहता तो व्यक्ति की जान नहीं जाती।
दरअसल होता यह है कि वहाँ पर उतनी दूर तक लोगों की मजबूरी है कि नेशनल हाईवे पर होकर ही आगे जाया जा सकता है। लेकिन हाईवे के ठीक सटे ही लंबी-लंबी झाड़ी है। और वहीं पर गंदगी की ढेर लोगों द्वारा फेंककर लगा दिया गया है। ऐसे में लोगों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है जिससे वे अपने गांव या उस तरफ जा सकें। इसी कारण से लोग नेशनल हाईवे पर होकर गुजरते हैं और अक्सर वहां दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। कई बार गंभीर दुर्घटना के शिकार लोग हो भी चुके हैं।
लेकिन इन सब के बीच यह सवाल उठता है कि इसके लिए जिम्मेवार कौन है? क्यों नहीं इस समस्या का समाधान समय रहते निकाला जा रहा है ? क्या फिर से किसी अन्य दुर्घटना के होने का इंतजार किया जा रहा है? क्या इस समस्या का समाधान कोई बड़ी घटना न जाए उसके पहले नहीं निकाला जा सकता है ? ये सभी तमाम सवाल लोगों के उन संबंधित अधिकारियों से हैं जिनके कंधों पर इसकी जिम्मेवारी सरकार ने सौंप रखी है।सबसे बड़ी बात तो यह है कि कोई जनप्रतिनिधि या सामाजिक संगठन भी इस समस्या के समाधान के लिए आगे नहीं आ रहा है।