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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में खाद की किल्लत और कालाबाजारी दूर होने का नाम नहीं ले रही है। अब किसानों के पास समस्या रबी के खेती को लेकर है। उन्हें इसके लिए खाद की जरूरत है लेकिन मिल नहीं रहा है। अगर मिल भी रहा है तो उसके बदले उन्हें 1200 रुपये प्रति बोरी की जगह 1800 रुपये की महंगे मूल्य पर खरीदारी करनी पड़ रही है। जब उंची कीमत पर खाद खरीदने से बचने के लिए जब किसान सहकारी संस्थाओं के उर्वरक बिक्री केंद्र पर पहुंच रहे है, तो यहां भी उन्हें भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
पहली परेशानी तो मांग ज्यादा और उपलब्धता कम होने के कारण उर्वरक बिक्री केंद्रों पर भीड़ का लगना। फिर भीड़ में लंबी कतार में घंटो खड़ा रहना। यह सब सहते हुए घंटों कतार में लग कर किसान जब काउंटर तक पहुंच जाते है तो स्टॉक खत्म हो जाता है। ऐसे में फिर अगले दिन आना और घंटो लाइन लगाना तब जाकर खाद पाना, इन दिनो किसानों के लिए यह रोजमर्रा बन गया है।
पहले जहां किसानो को सहजता से खाद मिल जाता था। वहीं अब किसानों को खाद खरीदने के लिए खुद के किसान होने का प्रमाण तक देना पड़ रहा है। हालांकि सांसद सुशील कुमार सिंह ने किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए भरपूर प्रयास किया है। लोकसभा में भी सवाल उठाया है, जो सराहनीय है, पर अबतक उनके प्रयास पूरे परवान नही चढ़ पाए है।
हालांकि कृषि विभाग के अधिकारी प्रयास कर रहे हैं जिससे किसानों को सरकार द्वारा तय की गई मूल्य पर खाद मिले। वे उर्वरक केंद्रों पर भी जाकर निरीक्षण कर रहे हैं और हिदायत दे रहे हैं कि खाद की ब्लैकमेलिंग नहीं की जाए। लेकिन इनसब के बावजूद भी किसानों को सही मूल्य पर सही तरीके से खाद नहीं मिल रहा है।