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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में जब से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरजेडी को ए टू जेड पार्टी कही है तब से बीजेपी और जेडीयू में बेचैनी छाई है। वे जिस तरह से कट्टर विरोधी मानेजाने वाले तबके के साथ खड़े हैं उससे बीजेपी -जेडीयू का चिंतित होना लाजमी है। यह बात एमएलसी चुनाव से भी तेजस्वी ने दिखा दिया।
दरअसल तेजस्वी यादव ने परशुराम जयंती के मौके पर भूमिहार- ब्राह्मण समाज को साथ लेकर चलने की बात कही उससे उनके विरोधियों में ज्यादा बेचैनी है। तेजस्वी ने यह संकेत दे दिया कि बिहार में नए सियासी समीकरण की कहानी लिखी जाएगी। उन्होंने भूमिहार ब्राह्मण समाज को साथ लेकर चलने की बात कही और एलान कर दिया कि अभी तक आरजेडी के साथ जुड़ जाए तो ऐसे में बिहार में कमाल हो जाएगा।
तेजस्वी यादव ने सामाजिक न्याय को लेकर नई परिभाषा भी गढ़ी है। तेजस्वी ने कहा कि सामाजिक न्याय का मतलब यह नहीं कि किसी तबके को इससे अलग रखा जाए। यादव के इस दांव को लेकर उनके विरोधी कितने बेचैन दिखे इसका अंदाजा दो आयोजनों से लगाया जा सकता है। पटना के विद्यापति भवन में ही मंगलवार को परशुराम जयंती का आयोजन किया गया। इस आयोजन में बीजेपी से जुड़े नेता शामिल हुए। मकसद था कि किसी तरह तेजस्वी की सेंधमारी वाली पॉलिसी का काट निकाला जा सके। इस मंच से बीजेपी के नेताओं ने पुराने दौर की याद ताजा करा दी।
उधर जेडीयू के नेताओं का भी परशुराम जयंती के मौके पर जुटान हुआ। मोकामा में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और पूर्व मंत्री नीरज कुमार समेत कई लोग परशुराम जयंती के मौके पर इकट्ठा हुए। मोकामा में परशुराम जयंती के मौके पर राजकीय समारोह का उद्घाटन किया गया ।
इस मौके पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने कहा कि बाबा परशुराम की तरह धर्म के खिलाफ संघर्ष जरूरी है। लेकिन तेजस्वी के विरोधी पार्टी के नेताओं का मकसद देखा जाय तो एक ही है। वह मकसद है किसी तरह से भुमिहार और ब्राह्मणों को आरजेडी में जाने से रोकना। लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि किस रणनीति से बीजेपी -जेडीयू इस मुद्दे पर तेजस्वी से निपटती है।