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औरंगाबाद में रामनवमी में लगा भूत-प्रेतों का मेला, दूर-दूर से आते हैं लोग, यहाँ आते ही भूत लगते हैं झूमने
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: आज कितना भी विज्ञान क्यों न तरक्की कर गया हो लेकिन आज भी कई लोग भूत-प्रेतों के डर से सहमे हैं । अपनी मरीजों का इलाज कराने के बजाय वे भूत-प्रेतों के अंधविश्वास में हैं। हालांकि साइंस कभी भी इन बातों को नहीं मानता है और न कभी मान्यता देता है। कुछ इसी तरह की खबर औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड के महुआधाम से है। जहाँ हर साल चैती और कार्तिक नवरात्र में लोगों की भारी भीड़ जमा होती है। इसकी वजह है लोगों का प्रेत बाधा यानी भूत से निवारण होना। यहाँ अदृश्य शक्ति से यह सबकुछ होता है। भूतों को मां अष्ठभुजी सजा भी देती हैं। वे नरक कुंड में डुबोकर मार डालती हैं।यहाँ लोग दूर-दूर से आते हैं ।
दरअसल यहाँ के लोगों का कहना है कि यहां न तो ओझाओं की ओझई काम आती है और न ही तांत्रिको का। यहां मां अष्टभुजी के धाम पर आते ही भूत नाचने लगते है। देखने से लगता है कि महिलाएं और पुरुष किसी भक्ति गीत पर भक्ति भाव में झूम रहे है पर ऐसा नही है। बल्कि इन्हें भूतों ने अपने आगोश में ले रखा है। इसी वजह से ये झूम रहे है।
आपको बता दें कि ऐसे मेले औरंगाबाद जिले में मनोरा, अमझरशरीफ और शिबली में भी लगे हैं और सब जगह प्रायः यही हाल है। हालांकि आपको इन जगहों पर कई ऐसे लोग मिल जाएंगे जो यह भी कहते हैं इन जगहों पर आने से उनके परिजन के कई जटिल बीमारियाँ भी ठीक हो गई है। लेकिन चिकित्सा साइंस इसे सिरे से नकाराता है और कहता है कि चिकित्सा विज्ञान में सभी रोगों का इलाज संभव है। ये लोग भूत-प्रेत से नहीं बल्कि मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं।
नोट: बिहार नेशन, मीडिया कभी भी इस तरह के अंधविश्वास से जुड़ी बातों को मान्यता या बढ़ावा नहीं देता है। केवल आपको जानकारियों से अवगत कराता है। आप चिकित्सा विज्ञान पर विश्वास करें ।