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अमित शाह ने पेश किया तीन नया बिल, रेप में 20 साल की होगी सजा, 180 दिन में पुलिस करेगी जांच समाप्त, समझें इस बिल से क्रिमिनल लॉ में क्या-क्या बदलेगा ?
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: अंग्रेजों के समय के बने तीन कानून को समाप्त करने की घोषणा शुक्रवार को मॉनसून सत्र के चल रहे संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की है। उन्होंने इसके लिए सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल पेश किया। इस दौरान शाह ने कहा कि इस बिल के जरिए अंग्रेजों के वक्त बनाए गए इन पुराने कानूनों में व्यापक बदलाव होगा। शाह ने कहा कि चार साल तक इन पर गहन विचार-विमर्श हुआ और अंग्रेजों के जमाने के कानून अब नहीं चलेंगे। इन नए कानून बिलों को संसद की गृह मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाएगा। शाह ने कहा कि नए कानूनों के तहत यह सरकार पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में ला रही है।
शाह ने कहा कि IPC 1860, CRPC 1898, इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 ये तीनों अंग्रेजों द्वारा लाए गए कानूनों को हटाकर अब भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 कानून लाए गए हैं। शाह ने कहा कि सबको न्याय देना उद्देश्य है।
नए बिल में क्या है और क्या बदल जाएगा?
• मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से रेप के मामलों में मौत की सजा देने तक का प्रावधान किया जाएगा.
• राजद्रोह को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. शाह ने कहा, ‘यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का अधिकार है.’
• पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी. पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया जा रहा है.
• भगोड़े अपराधी की अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी.
• वीडियोग्राफी होने पर मुकदमे के अंत तक वाहनों को नहीं रखा जाएगा.
• दंड न्याय प्रणाली को पूरी तरह बदला जाएगा और सभी को अधिकतम 3 साल में न्याय दिलाने की सोच है.
• किसी अपराध के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर न्याय पाने तक पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी.
• 7 साल या उससे अधिक कारावास की सजा वाले अपराध में फोरेंसिक दल का क्राइम सीन पर जाना जरूरी होगा.
• देश के हर जिले में भविष्य में तीन चलित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं (FSL) तैनात रहेंगी.
• देश में अपराध कहीं भी हो, उसकी जीरो FIR कहीं से भी दर्ज की जा सकेगी. संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी.
• यौन हिंसा के मामलों में पीड़ित का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी.
• 7 साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी.
• अदालतों में मुकदमों में देरी रोकने के लिए तीन साल से कम कारावास के मामलों में समरी ट्रायल ही पर्याप्त होगी.
• पुलिस को 90 दिन में आरोप पत्र दायर करना होगा. जांच अधिकतम 180 दिन में समाप्त करनी होगी.
• सुनवाई के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा. इसे एक हफ्ते के अंदर ऑनलाइन डालना होगा.
• नौकरशाहों के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 120 दिन के अंदर अनुमति देनी होगी या उससे इनकार करना होगा.
• संगठित अपराध या अंतरराज्यीय गिरोहों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.
• विवाह, रोजगार या पदोन्नति के बहाने अथवा पहचान छिपाकर महिलाओं से यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा.
वहीं महिलाओं से जुड़े कानून में बदलाव किया गया है, अमित शाह ने बताया कि गलत पहचान बनाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध होगा। गैंगरेप के मामले में 20 या उससे अधिक साल की सजा का प्रावधान है, 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानून में मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल, उम्र कैद और मौत की सजा तक का प्रावधान है।
गृह मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 में देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, विधि विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर नये कानूनों के संबंध में सुझाव मांगे गये थे. उन्होंने कहा कि 2020 में इस दिशा में कुछ आधार तैयार होने के बाद सभी सांसदों, विधायकों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को पत्र लिखा गया. शाह ने कहा कि चार साल तक गहन विचार-विमर्श के बाद ये विधेयक लाये गये हैं. उन्होंने कहा कि इन पर मंथन के लिए हुईं 158 बैठकों में वह स्वयं उपस्थित रहे।
हालांकि आपको बता दें कि अभी यह बिल लोकसभा में पेश किया गया है। इसे फिर लोकसभा और राज्यसभा में पास कराया जाएगा । तब जाकर यह बिल विधेयक बन जाएगा। ऐसे में अभी इस विधेयक के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। लेकिन अगर यह कानून संसद से बहुमत से पास हो जाता है तो इंसाफ के लिए दर -दर नहीं भटकना होगा। त्वरित सुनवाई और त्वरित निष्पादन होगा। वहीं कोर्ट से तारीख पर तारीख का झंझट भी समाप्त हो जाएगा। लेकिन इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।