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विशेष: बिहार में आखिर क्यों नहीं हो रहा है मंत्रीमंडल का विस्तार, क्यों हैं तेजस्वी चुप, कहां फंसा है मामला, समझिए पूरी बात !
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर चर्चा तेज हो गई है। लेकिन कन्फर्म कुछ नहीं हो रहा है कि कब मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। जबकि इस मामले में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव मौन हैं। इधर, कांग्रेस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर निरंतर दबाव बना रही है। कैबिनेट विस्तार में देरी से नाराज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने तो यहां तक कह दिया है कि महागठबंधन में कांग्रेस अपमान सह कर नहीं रहेगी।
इससे पहले पटना में हुई विपक्षी एकता की बैठक के बाद तो कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी नीतीश कुमार से पूछा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब कर रहे हैं? तब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की तरफ ही देखकर उनसे पूछा था कि क्या करना है? कुछ दिन पहले एक बार फिर से वही सवाल किया गया तो नीतीश कुमार ने फिर गेंद तेजस्वी यादव के पाले में फेंक दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी मेरी वजह से नहीं हो रही। यह तेजस्वी यादव को तय करना है। नीतीश कुमार के इस राजनीतिक बयान के बाद सियासी हलचलें तेज हुई।
विपक्ष भी इसको लेकर नीतीश कुमार पर अब तंज कसने लगा है। नीतीश कुमार के बयान को राजनीतिक पंडित अपने-अपने हिसाब से व्याख्या भी कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने ऐसा बयान जानबूझकर दिया है। कुछ लोगों का कहना है कि यह देरी आरजेडी की ओर से ही हो रही है।
बता दें कि बिहार सरकार में फिलहाल 31 मंत्री हैं। पांच मंत्री के पद अभी भी रिक्त है। नीतीश कुमार 33 से अधिक मंत्रियों को अपने कैबिनेट में अभी तक नहीं रखे हैं। इसलिए यह कहा जा रहा है कि इस दफा भी वे अपने कैबिनेट में 33 से ज्यादा लोगों को नहीं रखेंगे। ऐसे में कैबिनेट में सिर्फ दो लोगों को ही स्थान मिल सकता है। कैबिनेट में जो दो सीट खाली है वे राजद कोटे के है। कार्तिक कुमार और सुधाकर सिंह। इन दोनों के त्यागपत्र के बाद से यह खाली है। राजद ने अपने इन दोनों सीटों पर अभी तक किसी को मंत्री नहीं बनाया है।
इधर,कांग्रेस कैबिनेट में दो सीटों की मांग कर रही है। महागठबंधन में कांग्रेस की बात मानी गई तो इसके लिए राजद को ही त्याग करना पड़ेगा। आरजेडी इसके लिए तैयार नहीं है। इस कारण वो इस सवाल पर मौन है। इसके साथ ही आरजेडी में मंत्री पद को लेकर राजनीति भी चरम पर है। पार्टी के सामने धर्मसंकट यह है कि एक को मंत्री बनाते हैं तो पांच नाराज हो जाएंगे। पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव तक किसी प्रकार का कोई बवाल नहीं चाह रही है। नए मंत्री बने तो पहले से जो मंत्री हैं उनके विभाग कम होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद सर्वाधिक चार विभाग तेजस्वी प्रसाद यादव के पास हैं। राजद कोटे से मंत्री बनाए जाने के बाद राजद कोटे से या तो तेजस्वी प्रसाद यादव को मिले विभागों में कटौती करनी होगी या किसी और सदस्य को कैबिनेट से ड्रॉप करना होगा। इसको लेकर भी असंतोष भड़क सकता है। गठबंधन में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. इसलिए आरजेडी में ही सबसे ज्यादा बवाल भी हो सकता है. इसलिए पार्टी नेतृत्व इस पर मौन है।