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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: औरंगाबाद जिले में उस समय अफरा-तफरी मच गया जब सदर अस्पताल के डॉक्टर सोमवार की दोपहर बाद से हड़ताल पर चले गए हैं। वहीं डॉक्टरों के हड़ताल से मरीजों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। जब मरीज दोपहर बाद सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे तो डॉक्टरों के नहीं रहने के कारण वापस लौट गए।
मिली जानकारी के मुताबिक मामला डॉक्टरों के वेतन में कटौती से जुड़ा हुआ है। दरअसल वेतन कटौती नहीं करने और जल्द वेतन भुगतान की मांग को लेकर डॉक्टरों द्वारा पहले ही सिविल सर्जन व उपाधीक्षक को हड़ताल पर जाने को लेकर अलर्ट किया था। डॉक्टरों द्वारा कहा गया था कि अगर उनकी मांग को नहीं सुना जाएगा तो वे लोग हड़ताल करेंगे।
सोमवार की दोपहर बाद जब सदर अस्पताल के सभी डॉक्टर सिविल सर्जन से मुलाकात करने पहुंचे तो सिविल सर्जन ऑफिस में नहीं थे। जिसके बाद फोन से इसकी जानकारी सिविल सर्जन को दी गई, लेकिन सिविल सर्जन नहीं पहुंचे। घंटों फोन के माध्यम से डॉक्टरों को मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन अपनी मांग पर डॉक्टर अड़े हुए थे।
जिसके बाद सिविल सर्जन ने डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज कराने की बात कही। इसके बाद मामला और बिगड़ गया । जिसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। डॉक्टरों का कहना है कि मई महीने में दो से तीन दिन लगभग सभी डॉक्टरों के वेतन की कटौती की गई है। वो भी एक ही दिन। जिस दिन का वेतन काटा गया है, क्या उस दिन एक भी डॉक्टर सदर अस्पताल में नहीं थे।
डॉक्टरों का कहना है कि दो महीने से वेतन की भुगतान नहीं हुई है। जिससे वे लोग पहले ही परेशान हैं। इसके बावजूद वेतन की कटौती करने की बात सामने आ रही है। इन दोनों मुद्दे पर सिविल सर्जन से मिलने पहुंचे थे, लेकिन सिविल सर्जन द्वारा एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है। उनके रवैया डॉक्टरों के प्रति ठीक नहीं है। लिहाजा सभी डॉक्टरों द्वारा हड़ताल पर रहने का ऐलान किया गया है।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टरों को निर्देश दिया गया था कि वे अपना लोकल पता कार्यालय में जमा करें। लोकल पता कार्यालय में जमा करने में देरी की गई, लिहाजा वेतन भुगतान में देरी हुई। वहीं सिविल कोर्ट में डॉक्टरों की ड्यूटी अंतराल पर लगाया गया था, लेकिन ड्यूटी डॉक्टरों द्वारा नहीं की गई। लिहाजा वेतन कटौती की गई है।