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औरंगाबाद राज्य सिंगल विन्डो ऑपरेटर-मल्टी परपस असिटेंट संघ इकाई ने की अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार राज्य सिंगल विन्डो ऑपरेटर-मल्टी परपस असिटेंट संघ के औरंगाबाद इकाई द्वारा लंबी अवधि से की जा रही पांच सूत्री अपनी प्रमुख मांगों को लेकर चार दिवसीय हड़ताल 14 मार्च से 17 मार्च तक थे। लेकिन अब यह हड़ताल अनिश्चितकाल तक के लिए इन कर्मियों के द्वारा बढ़ा दिया गया है। कर्मियों का कहना है कि विभाग अथवा सरकार के द्वारा कोई भी सकारात्मक पहल अब तक नहीं की गई है।

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कर्मियों के द्वारा यह भी बताया गया है कि हड़ताल के दूसरे दिन 15 मार्च को संध्या 4:30 बजे बिहार विकास मिशन के महाप्रबंधक HR (Management) & IT के द्वारा सभी DRCC प्रबंधक के साथ Online Meeting की गई थी। जिसमें महाप्रबंधक HR (Management) & IT के द्वारा मुख्य रूप से यह कहा गया है कि योजना की शुरूआत वर्ष 2016 के सितम्बर में 5 वर्षों के लिए किया गया था, जिसको बाद में 2 वर्ष बढ़ाते हुए 7 वर्ष (सितम्बर-2023) तक के लिए किया गया है। अब अगर योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय सरकार के द्वारा किया जाता है तब आप लोगों की सेवा आगे लिया जायेगा अथवा योजना की अवधि का विस्तार नहीं करने का निर्णय अगर सरकार करती है। तब आपलोगों की सेवा समाप्त कर दी जायेगी।

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जिसके बाद अब राज्य भर के तमाम SWO/MPA कर्मी अपने भविष्य को अंधकार में देख रहे हैं और हताश / निराश होकर यह कह रहे है जब तक सरकार हमलोगों के भविष्य की चिन्ता करते हुए हमलोगों के हित में ठोस एवं सकारात्मक निर्णय नहीं करती है तब
तक के लिए यह हड़ताल अनिश्चित काल तक के लिए जारी रहेगा और यदि विभाग अथवा सरकार कोई भी नाकारात्मक निर्णय लेती है तब राज्य भर के यह कर्मी न्यायलय के शरण में अपनी मांगों के लिए जायेंगे।

आपको बता दें कि इन कर्मियों की पांच सूत्री मांग है।क्या हैं प्रमुख पाँच माँगे और क्या है उनका आधार-

1. माननीय मुख्यमंत्री, बिहार के द्वारा गठित श्री अशोक चौधरी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमिटि के अनुशंसाओं को पूर्ण रूप से जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र में नियोजित सभी SWO/MPA कर्मियों पर अविलम्ब लागू किया जाय।

> कमिटि की अनुशंसाओं को लागू करने की मंजूरी दो वर्ष पूर्व ही सरकार के द्वारा कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बावजूद अवतक विभाग के द्वारा लागू, नहीं किया गया है वही दूसरी ओर इस कमिटि की अनुशंसाओं को अन्य सभी विभागों में सभी नियोजित एवं बाह्य एजेसी से प्रदत्त कर्मियों पर लागू किया जा
चुका है।

2. सभी SWD/MPA कर्मियों के वर्तमान मानदेय में कम से कम रुपये 10 हजार की वृद्धि किया जाय।

> वर्तमान मानदेय में वृद्धि करने को लेकर कर्मियों का कहना है कि वर्ष 2016 में हम कर्मियों के साथ अन्य विभागों में नियोजित किये गये कर्मियों का मानदेय वर्तमान में हमलोगों के मानदेय से काफी ज्यादा है सरकार के द्वारा अन्य विभाग के कर्मियों पर मानदेय के रूप में प्रत्येक माह 38 से 40 हजार रुपये तक व्य किया जा रहा है जबकि इन कर्मियों के मानदेय के रूप प्रत्येक माह सरकार 25 हजार रुपये के आस-पास व्यय कर रही है जो कि न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है।

3. सभी SWO/MPA कर्मियों का स्थानांतरण अपने गृह जिले में अथवा नजदीकी जिले में अथवा ऑप्शन माँग कर किया जाय।

> कर्मियों का कहना है कि विभाग के द्वारा इनका स्थानांतरण गृह जिले में नहीं करना एवं गृह जिले से दूर 400 से 600 किमी0 तक के जिले में स्थानांतरण करने से कर्मियों पर अत्यधिक आर्थिक बोझ पड़ता है एवं अपने घर परिवार के कर्तव्यों अथवा दायित्वों से वंचित रह जाते हैं। इसलिए इस पर विचार करना अतिआवश्यक है।

4. क्षतिपूर्ति के रूप में की गयी कटौती (एक माह का वेतन को व्याज समेत वापस किया जाय।

> इसके सिलसिले में इन कर्मियों के द्वारा बाताया जाता है कि सरकार के किसी अन्य विभाग में ऐसी कोई नियामावली अथवा ऐसी व्यवस्था नहीं रखी गयी जिसके तह एक माह का वेतन / मानदेव क्षतिपूर्ति के रूप में विभाग अपने पास सुरक्षित जबकि इस विभाग में ऐसी व्यवस्था कर दी गयी है। इसके साथ ही इन कर्मियों यह भी कहना है कि अगर मानदेव परिवार के भरण-पोषण अथवा पारिश्रमिक के रूप दिया जाता है तब यह नियम जो कि बिल्कुल ही गलत है क्यों बनाया गया। इस सुरक्षित राशि विभाग या व्याज सहित वापस कर दें।

5. आकस्मिक अवकाश जो वर्तमान में 22 दिन पर 01 की गणना से देय है उसमें बदलाव करते हुए नियोजन के समय लागू सामान्य प्रशासन विभाग का संकल्प 2401/ दिनांक 18.07.2017 को लागू किया जाय।

> आकस्मिक अवकाश जो इसीलिए देय होता है कि कार्यस्थल / कार्यालय में कार्यरत कमी को कभी भी इसकी आवश्यकता अपने लिए एवं अपने घर-परिवार के लिए अनुकूल अथवा विपिरत परिस्थिति में हो जाती है तब वह इसका उपभोग कर लेकिन यहाँ 22 दिन के उपरांत ही 01 आकास्मिक अवकाश के प्रधान रखा गया है और एकमुश्त अवकाश का उपभोग करने का प्रवधान नहीं रखा गया जिस कारण इन कर्मियों को विषम परिस्थिति में मजबूरन अपने मानदेय में कटौती कराने पड़ जाती है जिससे बचने के लिए इस नियम बदलाव बहुत ही जरूरी और अन्य विभागों के अनुरूप यहाँ भी अवकाश में बढ़ोत्तरी एवं कुल अवकाश को एकमुश्त उपभोग करने हेतु प्रावधान सुधार की जाय।

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