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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: वर्तमान समय में रियल स्टेट का बिजनेस काफी तेजी से बढ़ा है। कई लोग हैं जो वर्तमान समय में प्रॉपर्टी अर्थात संपत्ति का बिजनेस कर रहे हैं। इस व्यवसाय को ही रियल स्टेट का नाम दिया जाता है। लेकिन सम्पत्ति खरीदने या बेचने में या फिर वसीयत करने में अर्थात सम्पत्ति एक व्यक्ति से दूसरे के नाम जाने की प्रक्रिया होती है, तो उस बीच में आपने “दाखिल ख़ारिज” शब्द जरुर सुना होगा । दाखिल ख़ारिज का मतलब जब दो लोगों के मध्य किसी संपत्ति का हस्तांतरण होता है, तो इसे राजस्व रिकॉर्ड में नोट कराया जाता है, तो इस प्रक्रिया को ही दाखिल खारिज (Mutation) कहते है।
अगर आप किसी जमीन को खरीदने जा रहे हैं, तो उस जमीन का दाखिल खारिज जरूर कराएं। दाखिल खारिज कराने के बाद ही जमीन का क्रेता (आप) कानूनी रूप से उस जमीन का मालिक बनता है। जमीन का दाखिल ख़ारिज के बाद ही राजस्व रिकॉर्ड में किसी व्यक्ति का नाम उस संपत्ति के मालिक के रूप में दर्ज होता है।
दाखिल का अर्थ होता है, दर्ज करना तथा ख़ारिज का अर्थ होता है निरस्त करना । जब किसी भी संपत्ति को खरीदा जाता है, तो उस सम्पत्ति से उसके पहले विक्रेता के नाम को निरस्त कराके वहां क्रेता के नाम (अपना नाम) को दर्ज कराया जाता है, इस प्रक्रिया को ही दाखिल ख़ारिज कहते हैं। इस प्रक्रिया में वसीयत, बैनामा इसके अलावा छोटी से छोटी जमीन खरीदने या बेचने के बाद दूसरे व्यक्ति के नाम से स्थान्तरित होने की प्रक्रिया में “दाखिल ख़ारिज” करवाना आवश्यक माना गया है, नहीं तो वह जमीन का पक्का मालिक नहीं माना जाता है |
हालांकि जमीन के दाखिल करवाने की प्रक्रिया में थोडा समय लगता है, रजिस्ट्री या वसीयत हो जाने के उपरांत ही इसके लिए आवेदन करना सम्भव है।