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अब पैक्स सदस्य, एक परिवार से एक ही व्यक्ति बनेगा, जानिए पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला !

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में अक्सर पैक्स के चुनावों में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। आरोप यह भी लगते रहे हैं कि एक ही परिवार में इसके कई सदस्य बने हैं जबकि कई परिवारों के यहाँ एक भी इसके मतदाता नहीं है। दरअसल अबतक होता यह था कि एक ही परिवार से कई लोग सदस्य बन जाते थे। ऐसे में पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला दिया है।

अब पैक्स के अंदर निर्वाचन प्रक्रिया को लेकर पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण गाइडलाइन जारी की है। पटना हाईकोर्ट ने सहकारिता विभाग को जो महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किया है, उसके बाद यह तय हो गया है कि बिहार में परिवार के अंदर से कोई एक व्यक्ति ही पैक्स का सदस्य हो पाएगा।

हाईकोर्ट ने इसके लिए नीति बनाने का निर्देश सरकार को दिया है। प्रदेश के किसी भी पैक्स में परिवार का एक ही व्यक्ति सदस्य हो सकता है। सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने सहकारिता विभाग को कई जरूरी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सहकारिता विभाग को पैक्स सदस्य बनाने के नियम का सख्ती से पालन करने को कहा है। कोर्ट में मौजूद विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी को इस बारे में जल्द नीति निर्धारण करने के आदेश दिए गए। साथ ही कोर्ट ने पैक्स की वोटर लिस्ट में सुधार करने के बारे में दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। इसके अलावे जिलास्तर के अधिकारियों के कामकाज पर नजर रखने के भी निर्देश कोर्ट ने दिए हैं।

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने उमेश कुमार की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये दिशा निर्देश दिए हैं। मामले पर सुनवाई के दौरान सहकारिता विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी सहित सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव बी. राजेन्द्र, वैशाली के डीएम, डीजी विजलेंस आलोक राज, वैशाली के जिला सहकारिता पदाधिकारी, गोरौल के प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी और बीडीओ कोर्ट में मौजूद थे। याचिकाकर्ता के वकील शशि भूषण कुमार मंगलम ने कोर्ट को बताया कि वैशाली के पीरापुर मथुरा पैक्स में सदस्य बनने के लिए 392 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। कुछ आवेदनों को यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि आवेदक का हस्ताक्षर नहीं है। वहीं कुछ के आवेदन पर दो सदस्यों की अनुशंसा नहीं है। उनका कहना था कि बाद में बगैर किसी को बताए सभी को सदस्य बना दिया गया। फिर उन सभी का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया और पैक्स का चुनाव करवा लिया गया। आवेदक की तरफ से पेश दलील पर कोर्ट ने जब अधिकारियों से सदस्य बनाए जाने के बारे में जवाब तलब किया तो कोई साफ जवाब नहीं दे पाए।

पटना हाई कोर्ट ने जिला सहकारिता पदाधिकारी से सवाल किया तो वह एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सके। कोर्ट ने डीजी विजलेंस को सबसे पहले जिला सहकारिता पदाधिकारी के बारे में जांच करने का निर्देश दिया। इस पर अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बचाव करते हुए कहा कि कोर्ट की ओर से पूछे गये सवाल को ठीक से नहीं समझने के कारण सही जवाब नहीं दे पाए। इसके लिए उन्होंने कोर्ट से माफी मांगी।

वहीं पटना हाईकोर्ट ने कहा कि पैक्स में एक ही परिवार में कई सदस्य पैक्स के सदस्य बनाए जा रहे हैं। प्रदेश में सहकारिता कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दो महीने के अंदर विभाग गाइड लाइंस जारी करें। सहकारिता विभाग की सचिव ने कोर्ट को बताया कि विभाग अपने स्तर से सदस्य बनाये जाने को लेकर जल्द नीति निर्धारण करेगा। साथ ही मतदाताओं को चिह्नित करने के भी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

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