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बिहार नेशन: शिक्षा सेवक संघ औरंगाबाद के जिला मीडिया प्रभारी उदय कुमार शिकारी ने बात करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा सेवक एवं तालिमी मरकज का शुद्ध नहीं ले पा रहा है, जिसके कारण शिक्षा सेवकों के समक्ष लगातार आर्थिक स्थिति दयनीय होती जा रही है। इस महंगाई के दौर में एक ओर दैनिक जरुरत की सामग्री का दाम लगातार बढ़ रही है उसके बावजूद शिक्षा सेवकों के मानदेय में वृद्धि नहीं होने के कारण शिक्षा सेवक तालिमी मरकज में उदासीनता का माहौल देखा जा रहा है।
उदय कुमार शिकारी ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा चौधरी कमेटी का गठन2015में किया गया था, जिसमें संविदा पर कार्यरत कर्मियों को सेवा स्थाई एवं मानदेय में वृद्धि को लेकर कमेटी का गठन किया गया था जो अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था। चौधरी कमेटी रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया,फिर भी सरकार अनदेखी कर रही है। जिसके कारण शिक्षा सेवक तालिमी मरकज कर्मी अल्प मानदेय में काम करने को मजबूर हैं।
श्री शिकारी ने बताया कि चौधरी कमेटी के रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कंडिका 7.1 एवं 7.2 में शिक्षा सेवक तालिमी मरकज का सामाजिक जरूरत के प्रतिवेदन में विस्तार से उल्लेख किया गया है कि उनके चयन की प्रक्रिया अहर्ता प्रशिक्षण कार्य एवं दायित्व के अनुसार उन्हें प्राथमिक शिक्षक के समरूप माना जाए। तदनुसार वेतन भत्ते काम के लिए ₹765 प्रतिदिन के दर से एवं ₹6109 न्यूनतम मजदूरी देय है। सभी को जोड़ दिया जाए तो शिक्षा सेवक एवं तालिमी मरकज के वेतन ₹29059 चौधरी कमेटी का रिपोर्ट कार्ड में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है, उसके बावजूद भी सरकार छलावा कर रही है। शिक्षा सेवक तालिमी मरकज घुटन की जिंदगी जी रहे हैं और लगातार शिक्षा सेवक को बीमारी से मौत इलाज के अभाव में हो रही है। तत्काल मानदेय 9680 रुपया है जो कि इस महंगाई के दौर में बहुत ही कम है जिसके कारण शिक्षा सेवक के परिवार का भरण पोषण नहीं होने के कारण शिक्षा सेवक का घर चलाना मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के समाधान यात्रा पर हैं और यहां महादलित अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षा सेवकों एवं तालिमी मरकज की समाधान की बात नहीं हो पा रही है।
सरकार हम सबों की मांग का समाधान समाधान यात्रा में ही करें नहीं तो बिहार के सभी शिक्षा सेवक तालिमी मरकज फरवरी माह से चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होंगे।