BIHAR NATION is a new media venture of journalist Jay Prakash Chandra .This dot-in will keep you updated about crime, politics , entertainment and religion news round the clock.
हिन्दू धर्म में आपसी सहमति से नहीं ले सकते तलाक ! बिना कोर्ट के इसका कोई औचित्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: कई बार हिन्दू परिवारों के मामले में अक्सर देखा गया है कि पति और पत्नी विवाद होने पर आपसी सहमति से अलग हो जाते हैं । लेकिन इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिंदू दंपति आपसी सहमति के बाद भी अदालत की अनुमति बगैर तलाक नहीं ले सकते हैं। हाईकोर्ट ने एक दंपति द्वारा आपसी सहमति से 100 रुपये के स्टांप पेपर पर अदालत के बाहर बनाए गए तलाकनामे को मंजूरी देने से इनकार करते हुए यह फैसला दिया है।
जस्टिस संजीव सचदेवा और रजनीश भटनागर की बेंच ने कहा कि पति-पत्नी दोनों हिंदू हैं और उनकी शादी भी हिंदू रीति-रिवाज और समारोह के साथ हुई है। ऐसे में पति-पत्नी द्वारा अदालत में जाए बगैर आपसी सहमति से महज 100 के रुपये के स्टांप पेपर पर तैयार कराए गए तलाकनामे का कोई महत्व और औचित्य नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक के लिए इस तरह से आपसी सहमति से तैयार किए गए दस्तावेज निरर्थक हैं।
भले ही कोई पक्षकार इसे अदालत में चुनौती दे या नहीं दें। हाईकोर्ट ने कहा कि सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा मामले में दंपति द्वारा आपसी सहमति से लिए गए तलाक का कानूनी तौर पर कोई मतलब नहीं है। हाईकोर्ट ने गुजाराभत्ता से जुड़े मामले में यह फैसला तब दिया, जब पति की ओर से पेश हुए वकील ने कहा है कि दंपति ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया।
आपको बता दें कि फैमिली कोर्ट ने यह फैसला इसी साल मई में पति से अलग रह रही पत्नी को गुजारा भता पर सुनवाई के दौरान दिया था। जिसके तहत सात हजार रुपये प्रतिमाह गुजाराभत्ता देने का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए पति ने हाईकोर्ट को बताया कि वह महज 15 हजार रुपये प्रतिमाह कमाता है। ऐसे में वह सात हजार रुपये पत्नी को गुजाराभत्ता देने में असमर्थ है। इसलिए इस फैसले को रद्द की जाय्।