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विशेष रिपोर्ट: जगदा बाबू , राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद के प्लान B का हैं हिस्सा, ये है इसके पीछे की पूरी राजनीति, समझिए!

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: बिहार में राजद पार्टी के अंदर का अंदरूनी कलह समाप्त हो गया है। एक बार फिर से नाराजगी जगदा बाबू की समाप्त हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद पर जगदानंद सिंह बने रहेंगे और अपनी जिम्मेदारी आगे भी संभालेंगे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जगदानंद सिंह और अब्दुलबारी सिद्दीकी के साथ बातचीत के बाद अपने निर्णय से उन्हें वाकिफ करा दिया। पार्टी के विश्वस्थ सूत्रों ने बताया कि लालू प्रसाद ने दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया था। वहीं तीनों के बीच बैठक हुई जिसमें लालू प्रसाद यादव ने अपना फैसला सुनाया।

लालू यादव सिंगापुर रवाना होने के पूर्व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर जारी अटकलबाजी को विराम देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पार्टी के दोनों वरिष्ठ एवं पुराने सहयोगियों को बुलाकर आपस में सलाह-मशविरा किया और जगदानंद सिंह को जिम्मेदारी संभाले रहने को कहा।

लालू- तेजस्वी

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर जगदा बाबू नाराज हैं तो उसके बावजूद भी उनके ऊपर आरजेडी सुप्रीमो भरोसा क्यों जता रहे हैं? इसकी वजह क्या है? यह समझ लेना बेहद जरूरी है।

इस मामले में आरजेडी के अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि बुधवार को जब दिल्ली में लालू यादव से जगदानंद सिंह, अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे नेताओं ने मुलाकात की तो पार्टी की मजबूती पर चर्चा हुई। साथ ही साथ सरकार में आने के बाद की चुनौतियों पर भी लालू यादव ने इन दोनों नेताओं से बातचीत की। जानकार बता रहे हैं कि लालू यादव के सामने जगदानंद सिंह ने सीधे तौर पर कह दिया है कि सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार की एंटी इनकंबेंसी का सामना आरजेडी को भी करना पड़ेगा। नीतीश कुमार के शासन से जिन लोगों को नाराजगी रही है, वह नाराजगी आरजेडी पर शिफ्ट ना हो इसके लिए जरूरी है कि पार्टी अपने एजेंडे को सरकार में लागू करते रहे।

माना जाए तो जगदानंद सिंह नीतिगत तौर पर नीतीश कुमार के एजेंडे के ऊपर चलने को लेकर सहमत नहीं दिखे। सूत्र बता रहे हैं कि लालू यादव और तेजस्वी यादव ने जगदा बाबू की बात को गंभीरता से लिया है। पार्टी को कैसे मजबूत रखा जाए, जगदानंद सिंह प्रदेश कार्यालय जाना शुरू करें इसके लिए भी बातचीत हुई। प्रदेश स्तर पर कोआर्डिनेशन के लिए नेताओं की एक टीम बनाई जाए, जिसमें प्रदेश के उपाध्यक्ष शामिल रहे इस पर भी सहमति बनी है।

आपको बता दें कि जगदानंद सिंह ने बीते 2 अक्टूबर के बाद प्रदेश आरजेडी कार्यालय में कदम नहीं रखा है। इसी दिन उनके बेटे और पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार के साथ विवाद को लेकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुधाकर सिंह बिहार में किसानों के हित की बात कर रहे थे। कृषि मंत्री रहते हुए उनके बयानों से नीतीश एकमत नहीं थे और यही वजह रही कि सुधाकर सिंह को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद जब पार्टी कार्यालय से दूरी बना ली तो यह चर्चा आम हो गई कि वह नेतृत्व से नाराज हैं।

जानकार बताते हैं कि जगदा बाबू की नाराजगी लालू यादव या तेजस्वी यादव से नहीं है। दरअसल जगदानंद सिंह नीतीश मॉडल को लेकर असहज हैं। सियासी जानकार मानते हैं कि नाराजगी की खबरें और आरजेडी के अंदर जगदा बाबू प्रकरण से नुकसान होने के बावजूद लालू यादव अगर जगदा बाबू से किनारा नहीं करना चाहते हैं तो इसके पीछे एक बड़ी वजह है। लालू बिहार की राजनीति को समझते हैं, नीतीश कुमार की सियासत को भी परख चुके हैं। ऐसे में जगदानंद सिंह, जो नीतीश मॉडल के विरोध में खड़े हैं उनका इस्तेमाल सही समय आने पर किया जा सकता है।

लालू प्रसाद जानते हैं कि अगर नीतीश ने इधर-उधर किया तो जगदानंद सिंह जैसे नेताओं के जरिए ही उनको काउंटर किया जा सकता है। सरकार में होने के बावजूद नीतीश कुमार से दूरी बनाए रखना उनके गवर्नेंस स्टाइल से असहमत रहना और साथ ही साथ आरजेडी के एजेंडे को आगे रखने की बात करने वाले जगदानंद सिंह आड़े वक्त में लालू और तेजस्वी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि लालू यादव ने प्लान B के लिए जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बनाए रखने का फैसला किया है।

वैसे यह भी बता दें कि जगदानंद अनुशासन के मामले में सख्त माने जाते हैं। बदली परिस्थितियों में राजद का अनुशासन पर सख्त जोर है। पार्टी के कई कार्यक्रमों में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद भी इस बात को कह भी चुके हैं कि पार्टी नेता व कार्यकर्ता अनुशासन में रह कर कार्य करें।

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