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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत क्या है वह किसी से छुपी नहीं है। लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि राज्य का एकालौता हॉस्पिटल पीएमसीएच में डायलिसिस की मशीन खराब है। जिसके कारण से सैकड़ों लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए अधिक पैसे देने पड़ते हैं।इसे ही लेकर पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। लेकिन डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की है । वहीं राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वास्त किया गया कि जल्दी ही पीएमसीएच में डायलिसिस मशीन को चालू करने की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मामलें में एक सप्ताह में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पीएमसीएच के अधीक्षक को ये बताने को कहा कि इस समस्या का समाधान किस प्रकार होगा। आज कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अमृत प्रत्यय भी उपस्थित थे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच में 31 डायलिसिस मशीन खरीदे गए,लेकिन डॉक्टर और टेक्निशयन के नहीं होने के कारण इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं।
उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत लगभग बारह लाख रुपया है।इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का दुरूपयोग हुआ है,वहीं मरीजों और उनके घरवालो पर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज कराने पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है। अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई,लेकिन वे बाद में दूसरे जगह भेजे गए। नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का सही ढंग से ईलाज नही हो रहा है।
पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा था कि अगर नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं काम कर रहा है, तो न्यायिक आदेश से कोर्ट इन्हें बंद कर इन मशीनों को दूसरे अस्पताल में भेज देगा। इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।
गौरतलब हो कि पीएमसीएच अस्पताल में उस समय डॉक्टरों के बीच हड़कंप मच गया था जब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने आधी रात को पहुंचकर मौके का जायजा लिया था। साथ ही उन्होंने साठ दिनों में व्यवस्था सुधारने के निर्देश भीदिए थें। लेकिन इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। ।