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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार के राजनीतिक गलियारे से इस वक्त बड़ी खबर सामने आ रही है। सीबीआई यानी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने राजद के कई नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। यह छापेमारी केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान हुए भूखंड के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर की जा रही है। बुधवार की सुबह से ही सीबीआई ने छापेमारी शुरू कर दी है।
बता दें कि नौकरी के बदले जमीन घोटाले के जांच का दायरा गुरुग्राम तक पहुंच गया है और तेजस्वी यादव के मॉल पर छापेमारी की गई है। क्यूब्स 71 मॉल पर छापेमारी के लिए सीबीआई की टीम पहुंची है और पड़ताल की गई है। सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि इस मॉल के निर्माण में जॉब घोटाले से मिली रकम का इस्तेमाल किया गया है। कहा जा रहा है कि यह मॉल तेजस्वी यादव और उनके एक सहयोगी का है।
यह छापेमारी ऐसे समय में की जा रही है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना है। कुमार ने हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ नाता तोड़कर राजद के साथ हाथ मिलाया है। उन्होंने बताया कि विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह, राज्य सभा के सदस्यों अशफाक करीम एवं फैयाज अहमद और विधान परिषद के पूर्व सदस्य सुबोध राय समेत राजद के कई वरिष्ठ नेताओं के परिसरों में छापे मारे जा रहे हैं।
लालू प्रसाद के निकट सहयोगी समझे जाने वाले अनिल कुमार सिंह ने पटना स्थित अपने आवास के गलियारे में संवाददाताओं से कहा, ‘यह शतप्रतिशत जानबूझकर किया गया है.. इसका कोई मतलब नहीं है, कौन नहीं जानता है। ये लोग स्थानीय पुलिस को भी बताए बिना मेरे घर में घुस आए हैं। वे मुझसे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए कह रहे हैं।’ इस बीच, सिंह की पत्नी ने चिल्लाते हुए कहा, ‘मेरे पति को उनकी वफादारी के कारण (राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के विश्वासपात्र होने के कारण) प्रताड़ित किया जा रहा है। सीबीआई को हमारी जगह से कुछ नहीं मिलेगा। मैं एजेंसी पर मानहानि का मुकदमा करूंगी।’
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 2008-09 में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर एवं हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी पाने वाले 12 लोगों के अलावा राजद सुप्रीमो, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को इस मामले में नामजद किया है। केंद्रीय एजेंसी ने 23 सितंबर, 2021 को जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने संबंधी घोटाले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी।
मिली जानकारी के मुताबिक उम्मीदवारों को रेलवे अधिकारियों ने ‘अनुचित तरीके से जल्दबाजी’ में आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर समूह ‘डी’ पदों पर स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उनकी नौकरी को नियमित कर दिया गया था। एजेंसी ने कहा कि इसके बदले में व्यक्तियों या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन हस्तांतरित की थी। जमीन का यह हस्तांतरण राबड़ी देवी के नाम पर तीन विक्रय विलेख, मीसा भारती के नाम पर एक विक्रय विलेख और हेमा यादव के नाम पर दो उपहार विलेख के जरिये किया गया।
वहीं बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचीं राबड़ी देवी ने कहा, ‘नई सरकार के गठन से भाजपा डर गयी है। केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी से हम डरने वाले नहीं है। बिहार की जनता सब देख रही है।’ बिहार विधानसभा के इस विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचे जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू), राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित कुल सात दलों के महागठबंधन के विधायकों ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताते हुए इसके विरोध में नारे लगाए।
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा, ‘मुझे कोई खास हैरानी नहीं हुई। मैंने कल रात ही एक ट्वीट में कहा था कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई और आईटी (आयकर) बिहार में अपने-अगले अभियान की योजना बना रहे हैं।’ राजद के नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा, ”ईडी हो या सीबीआई, इस तरह के सभी छापे भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मारे जाते हैं।’
कांग्रेस नेता असित नाथ तिवारी ने ट्वीट किया, ‘तात्कालिक लाभ के लोभ में एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे सीबीआई और ईडी के कुछ अधिकारी ये भूल गए हैं कि सत्ता ना तो मुसोलिनी की स्थाई रही और ना ही हिटलर की। कल जब सत्ता बदलेगी, तो इन अधिकारियों के अनैतिक कार्यों की जांच वही एजेंसी करेगी, जिसके आज ये अधिकारी हैं।’
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और बिहार विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने सीबीआई और ईडी को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की बिहार में खतरनाक कोशिश की है। राज्य सरकार आज बहुमत परीक्षण से गुजरने वाली है, तो ये सीबीआई और ईडी से शक्ति परीक्षण करा रहे हैं। (राज्य में सत्ता से बाहर हो चुकी एवं केंद्र में सत्तासीन भाजपा के पास) विधायकों की संख्या नहीं, लेकिन बिहार में कुचक्र रचा जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र की भूमि है। सीबीआई और ईडी जैसी दर्जनों संस्थाओं को ले आओगे, लेकिन कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ, जो बिहार में बनी महागठबंधन की सरकार के विधायकों पर दबाव बना सके। भ्रम में मत रहिए, जनता सब देख रही है।’
वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सरकार के सदन में शक्ति परीक्षण के दिन की जा रही छापेमारी पर अपने बयान में कहा कि राजद नेताओं के ठिकानों पर हो रही छापेमारी में बीजेपी की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि छापेमारी करने का समय सीबीआई खुद निर्धारण करती है। उन्होंने कहा कि जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप खुद जेडीयू ने लगाया था।