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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में लंबे समय से चली आ रही शिक्षकों के नियोजन से जुड़ी काउंसलिंग की प्रक्रिया बुधवार को समाप्त हो गई। इस नियोजन के तहत माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति स्कूलों में किया जाना है। विभाग के मुताबिक बुधवार को जिला परिषद् नियोजन इकाइयों के लिए काउंसलिंग होनी थी। लेकिन कई जिले बांका, भागलपुर, जमुई, बेतिया और अन्य दो स्थानों की जिला परिषद की नियोजन इकाइयों में काउंसलिंग नहीं की गई। शिक्षा विभाग हर बार की तरह इस बार भी इसे गंभीर अपराध मान रहा है।
अब मिल रही जानकारी के मुताबिक विभाग इन सभी जिलों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा। जहां लापरवाही पूर्ण तरीके से काउंसेलिंग नहीं हो सकी है, वहां आगे की काउंसेलिंग कराने के लिए विभाग अलग से विचार करेगा। इनके अलावा बाकी सभी जिला परिषद नियोजन इकाइयों ने बेहतर तरीके से काउंसेलिंग करा ली है। किन नियोजन इकाइयों में कितने शिक्षक चयनित हुए हैं? इसकी जानकारी अभी तक नहीं ली जा सकी है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि काउंसेलिंग नहीं करा पाने वाले जिला नियोजन इकाइयों की जानकारी ली जा रही है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की काउंसेलिंग 25 जुलाई से हो रही है। 25 जुलाई को नगर निगम और 26 को नगर पंचायत नियोजन इकाइयों की काउंसेलिंग करायी गयी है। उल्लेखनीय है कि नगर निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति हो गयी है, इसलिए वहां जल्दी ही चयन सूची जारी की जायेगी।
जिलास्तर पर विभिन्न नगर निकाय और नगर परिषद नियोजन इकाई के मुताबिक मेधा क्रम में अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग 26 जुलाई को की गई। 27 जुलाई को जिला स्तर पर जिला परिषद नियोजन इकाई के सूची के मुताबिक अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग पूरी होनी थी। तीनों प्रकार के नियोजन इकाइयों से सेलेक्टेड अभ्यर्थियों को सहमति पत्र देते 30 जुलाई को नियुक्ति पत्र मिलने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि सीएम नीतीश सरकार की शिक्षक नियोजन प्रक्रिया इतनी पेचीदा है कि एक ही अभ्यर्थी कई जगहों पर आवेदन करते हैं और फिर सभी नियोजन इकाइयों में एक ही अभ्यर्थियों की काउंसलिंग की जाती है और फिर सभी नियोजन इकाइयों में इन सभी अभ्यर्थियों का सभी जगह मेधा सूची भी तैयार की जाती है। इसी का परिणाम है कि यह नियोजन की प्रक्रिया 2019से ही चली आ रही है। लेकिन हर बार कुछ न कुछ पेंच फंसा दिया जाता है या फिर फंस जाता है। लेकिन अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र नहीं अभी तक मिल पाया है। जबकि अभ्यर्थी सीएम से लेकर शिक्षा मंत्री तक सभी जगह गुहार लगाकर थक चुके हैं कि नियोजन की प्रक्रिया को सेंट्रलाइज किया जाए। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई ।
वहीं रिक्ती के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। अभ्यर्थियों द्वारा सरकार से लेकर कोर्ट तक गुहार लगाई गई कि अबतक के रिक्त पदों को जोड़कर बहाली की जाय । लेकिन इसका कुछ भी असर नीतीश सरकार पर नहीं हुआ। पुरानी सीटें जो नाम मात्र की बची-खुची हुई हैं उसी पर यह नियोजन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।