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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बैंकों के निजीकरण के मामले में तेजी से केंद्र सरकार कदम आगे बढ़ा रही है। अब सरकार दो बड़े सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने जा रही है। इसे ही लेकर सरकार अब इसके लिए राह आसान करने में जुटी है। अगले महीने शुरू होनेवाले संसद के मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी चल रही है। जैसे ही यह संसद में आएगा इसके बाद बैंकों के निजीकरण का कार्य तेजी से आगे बढे़गा।
वित्त मंत्री ने फरवरी 2022 में बजट पेश करने के दौरान दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) के प्राइवेटाइजेशन की तरफ आगे बढ़ रही है। हालांकि अभी सरकार की तरफ से इस बारे में आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
सरकार इन दोनों में अपनी 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी को घटाकर 26 प्रतिशत पर लाने पर विचार कर रही है। इस पर तब ही आगे बढ़ जाएगा, जब बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पास हो जाए। हालांकि बीच-बीच में सरकारी कर्मचारियों ने निजीकरण का विरोध भी किया है।
दो सरकारी अधिकारियों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से जुड़ी जानकारी दी। सूत्रों का कहना है कि सरकार का मकसद सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन पूरा करने का है।
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान दो बैंकों के प्राइवेट करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही नीति आयोग ने प्राईवेटाइजेशन के लिए दो पीएसयू बैंक को शॉर्ट लिस्ट भी किया है। हालांकि देश में इसका खूब बैंकों के कर्मियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। लेकिन सरकार इस मामले में अपना स्टैंड क्लीयर कर चुकी है। उम्मीद है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में कम से कम एक बैंक जरूर प्राइवेटाईजेशन कर देगी।