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जातिगत जनगणना को लेकर सीएम नीतीश ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, राजनीतिक सरगर्मी हुई तेज
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर राजनीति तेज हो गई है। अब सीएम नीतीश कुमार भी तेजस्वी की राह पर चलते दिख रहे हैं । अब खबर आ रही है कि सीएम नीतीश कुमार इसे लेकर सर्वदलीय बैठक करेंगे । यह सर्वदलीय बैठक 27 मई को बुलाई जाने की खबर है। इस मीटिंग में सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं । वहीं इसे लेकर सीएम कार्यालय ने भी सभी राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। वहीं पूर्व सीएम और हम पार्टी के सुप्रीमों जीतन राम मांझी ने कहा है कि जातिगत जनगणना पर बैठक को लेकर उनके पास फ़ोन आया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में कहा था कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर वो ऑल पार्टी मीटिंग बुलाएंगे और इस पर सभी लोगों के सुझाव लिए जाएंगे। अब इस बैठक के लिए तारीख तय कर दी गई है। बैठक में बिहार के राजनीतिक दल जातिगत जनगणना को लेकर क्या हते हैं इस पर सभी की निगाहें होंगी।
बिहार के करीब-करीब सभी राजनीतिक दल इस बात पर एकमत हैं कि जो अगली जनगणना होनी है, वो जातिगत हो। यानी इसमें जातियों को अलग-अलग गिना जाए। बिहार विधानसभा में जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव भी 2020 में सर्वसम्मति से पारित हो चुका है। कुछ समय पहले बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर जातिगत जनगणना कराने की मांग कर चुके हैं।
आपको बता दें कि जाति आधारित जनगणना को लेकर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद खासकर काफ़ी समय से इसकी मांग कर रही है। पार्टी के नेता तेजस्वी यादव ने तो यहाँ तक कह दिया है कि अगर जाति आधारित जनगणना केंद्र द्वारा नहीं करवाई गई तो वे पटना से लेकर दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे । इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि अगर जातियों को नहीं गिना गया तो वे इस जनगणना को नहीं होने देंगे ।
गौरतलब हो कि पहली बार जाति आधारित जनगणना आजादी से पहले हुई थी जो 1931 में शुरू हुई थी। वहीं साल 1941 में जनगणना के समय जातियों का डाटा जरूर लिया गया था लेकिन उसे जारी नहीं किया गया था। उसके बाद 1951 से 2011 तक की जनगणना में केवल एससी-एसटी का डाटा दिया गया लेकिन ओबीसी जातियों का नहीं दिया गया ।