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औरंगाबाद: मदनपुर प्रखंड में रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सकुशल लौटे मेडिकल के दो छात्र, बीडीओ, सीओ ने की मुलाकात
जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच मेडिकल छात्रों के भारत लौटने का सिलसिला जारी है। कुछ इसी तरह की खबर बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड से भी है,जहाँ दो छात्र यूक्रेन से लौटे हैं। इन दोनों छात्रों के नाम हैं अभय कुमार सैनिक और निखिल नयन। इन दोनों के सकुशल वापस लौटने से घर में खुशी है। क्योंकि इनके परिजन अपने पुत्र के वहाँ फंसे होने के कारण काफी चिंतित थे। वहीं इन दोनों छात्रों से मदनपुर प्रखंड के बीडीओ कुमुद रंजन और सीओ ने भी घर जाकर सोमवार को कुशल छेंम पूछा । दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार आप सभी के आगे की पढ़ाई के लिए विचार कर रही है। जल्द ही कुछ अच्छा सुनने को मिलेगा ।
यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गये मदनपुर बाजार के देवी स्थान के पास रह रहे डॉक्टर बी.के. सैनिक के पुत्र अभय कुमार सैनिक ने बताया कि वहाँ हालात काफी खराब हैं । वे फर्स्ट ईयर के छात्र हैं । वे यूक्रेन के विनिस्त्ता शहर में रह रहे थे। उनलोगों को भारत सरकार की मदद से यूक्रेन से रोमानिया बॉर्डर पर लाया गया और शेल्टर होम में रखकर उनलोगों को सारी सुविधाएं दी गई। उसके बाद उनलोगों को बुचारेस्ट एयरपोर्ट पर लाया गया । फिर हमलोगों को विशेष विमान द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट पर सकुशल लाया गया । जिसकी पूरी खर्च भारत सरकार ने वहन की है। वहाँ से बिहार की राजधानी पटना में विमान से बिहार सरकार की खर्च पर लाया गया । छात्र अभय सैनिक ने बताया कि कई छात्रों के साथ हालांकि यूक्रेन के सैनिकों ने अभद्र व्यवहार भी की है। लेकिन उनलोग सकुशल वापस आ गये । इसके लिए पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हैं ।
छात्र अभय कुमार सैनिक के पिता डॉक्टर बी.के.सैनिक और माता अनामिका सिन्हा ने बताया कि वे अपने पुत्र के सकुशल वापसी से काफी खुश हैं । लेकिन पुत्र के भविष्य को लेकर चिंता भी है। सरकार इनलोगों के आगे की पढ़ाई के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था करे जिससे बच्चों का भविष्य न खराब हो । क्योंकि वहाँ हालात बहुत खराब हैं । दोनों अभिभावकों ने केंद्र और राज्य सरकार को बेटे के सकुशल वापसी पर धन्यवाद दिया ।
वहीं मदनपुर प्रखंड के ताराडीह निवासी मेडिकल छात्र निखिल नयन ने भी यही बात बताई । मेडिकल छात्र निखिल नयन ने बताया कि वे भी अभय कुमार सैनिक के साथ ही थे। वे दोनों वहाँ एक साथ ही रहकर पढ़ाई करते हैं । वे भी फर्स्ट ईयर के छात्र हैं और पराग्वे विनिशिया नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत विनिशिया नेशनल मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं । छात्र निखिल ने बताया कि जहाँ तक उन्हें जानकारी हैं वहाँ भारत के लिए 8 शेल्टर होम बनाए गये हैं । जहाँ जाकर छात्र रूक रहे हैं । उनलोगों को यूक्रेन और रोमानिया के बॉर्डर से 12 किमी पहले बस से उतार दिया गया था। क्योंकि वहाँ तक बस नहीं ले जाती थी। उनलोग तीन बस में 180 छात्र थे जो पैदल चलकर बॉर्डर बुचारेस्ट पहुंचे थे।
छात्र निखिल ने बताया कि वे वहाँ से बॉम्बे एयरपोर्ट पर सुबह 5 बजे के लगभग पहुंचे । जिसकी पूरी खर्च भारत सरकार ने वहन की। इसके बाद वहाँ से बिहार सरकार ने अपनी खर्च से घर तक पहुचाया। वहीं छात्र के पिता संजय कुमार एवं माता सरिता कुमारी अपने बच्चे के सकुशल वापसी से काफी खुश हैं । उन्होंने बताया कि अगर सरकार उचित शुल्क लेकर गरीबों को भी डॉक्टरी पढ़ाई का मौका अपने देश में ही दे तो छात्र विदेश नहीं जाएंगे । दोनों अभिभावकों ने अपने बच्चे की सकुशल वापसी के लिए मोदी सरकार और नीतीश सरकार को धन्यवाद दिया ।