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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: अक्सर लोग दंगों को राजनीति से जोड़कर देखते हैं और यह सवाल उनके जेहन में हमेशा कौंधता रहता है कि किस राज्य में कितने दंगे हुए और वहाँ किस पार्टी की सरकार है। इस मामले में सभी पार्टियां अक्सर बीजेपी पर आरोप लगाते रहती हैं कि वह सता के लिए सांप्रदायिकता को बढावा देती है । लेकिन आंकड़ों की कहानी कुछ और ही है। मतलब भले ही देश में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद सांप्रदायिक दंगे के मामले घटे हैं लेकिन सांप्रदायिक दंगे में बिहार इस मामले में शीर्ष पर है। केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में संसद में दिए आंकड़ों में कहा गया है कि वर्ष 2018 से 2020 के बीच बिहार में सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक दंगा हुआ।
केंद्र सरकार की ओर से राज्य सभा में जो रिपोर्ट दी गई उसके अनुसार 2018 और 2020 के बीच देश भर में कुल 1,807 सांप्रदायिक दंगों के मामले दर्ज किए गए, जिसमें 8,410 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसमें बिहार में 2018 और 2020 के बीच सांप्रदायिक दंगों के 419 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2,777 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 62 को दोषी ठहराया गया है। यानी इस अवधि के दौरान देश के करीब 23 फीसदी साम्प्रदायिक दंगे बिहार में हुए। वहीं अगर पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तब भी बिहार में भी सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक दंगे हुए। पिछले पांच साल में देश में 3,399 दंगे हुए। इस अवधि में बिहार में 721 मामले सामने हुए। एक प्रकार से साम्प्रदायिक दंगों के मामलों में बिहार पिछले पांच साल से शीर्ष पर बना हुआ है।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की ओर से राज्य सभा को बताया गया कि भारत में 2018 में 512 सांप्रदायिक दंगे के मामले दर्ज किए गए, 2019 में 438 और 2020 में 857 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक मामले बिहार में दर्ज किए गए थे। बिहार के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा का स्थान है। राय ने कहा कि 2018 में दंगों के लिए 4,097 लोगों को, 2019 में 2,405 और 2020 में 2,063 लोगों को गिरफ्तार किया गया। वहीं 2018 में दंगा मामलों में कुल 4,169 लोगों के खिलाफ, 2019 में 2,281 और 2020 में 1,908 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया था।
2020 में देश में दंगों के कुल 857 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ दिल्ली में ही 520 (61%) मामले दर्ज किये गये। यदि दिल्ली में इतने बड़े पैमाने पर इस साल दंगे नहीं होते तो 5 साल में देश में सबसे कम दंगों का रिकार्ड होता। 2020 से लेकर अब तक उप्र के अलावा उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गोवा, हिमाचल, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा समेत कुछ केन्द्र शासित प्रदेशों में एक भी दंगों के मामले सामने नहीं आए हैं।
दिल्ली दंगों के कारण 2020 में सांप्रदायिक दंगों के मामलों में लगभग 95% की वृद्धि थी। इन मामलों में 200 लोगों को 2018 में, 332 को 2019 में और 229 को 2020 में दोषी ठहराया गया था। बिहार में 2018 और 2020 के बीच सांप्रदायिक दंगों के 419 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2,777 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 62 को दोषी ठहराया गया।
महाराष्ट्र में तीन साल में सांप्रदायिक दंगों के 167 मामले सामने आए। कुल 1,332 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 10 को दोषी ठहराया गया। हरियाणा में 2018 से 2020 के बीच दंगों के 146 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 294 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन सभी पर आरोप पत्र दाखिल किया गया था लेकिन केवल तीन को दोषी ठहराया गया था। सजा 2019 में हुई थी।
पिछले 5 साल में दंगों के सबसे अधिक मामले बिहार से दर्ज हुए। वहां 721 मामले सामने आये। इस क्रम में दिल्ली में 521, हरियाणा में 421 और महाराष्ट्र में दंगों के 295 मामले दर्ज हुए। रिकार्ड के अनुसार दंगों में गिरफ्तार हुए आरोपियों की संख्या भी बढ़ी है। 2016 में दंगों के मामले में 1.42% लोगों की गिरफ्तारी हुई। वहीं, 2017 में 2.44%, 2018 में 4.08%, 2019 में 13.80% और 2020 में गिरफ्तार हुए। आरोपियों में से 11.10% दोषियों को कोर्ट से सजा मिल चुकी है।
वहीं इन सभी मामले पर केंद्र सरकार का कहना है राज्य की जिम्मेवारी है कि वह ऐसे मामले को रोके। कानून व्यवस्था बनाना , लोगों की रक्षा करना , सार्वजनिक शांति बनाए रखना , अपराधियों से निपटने के लिए कारवाई करना राज्यों का कार्य है। केंद्र सरकार भी इसपर नजर रखती है।