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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा-बेटे के बड़े होने तक उसके भरण-पोषण की जिम्मेवारी पिता की है

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए बुधवार को कहा कि पुत्र जबतक वयस्क नहीं हो जाता है तबतक उसके खर्च या भरण-पोषण की जवाबदेही पिता की है। पति पत्नी के बीच विवाद में बच्चे को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

जस्टिस एमआर शाह जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने कहा, पति पत्नी के बीच जो भी विवाद हो, एक बच्चे को पीड़ित नहीं होना चाहिए। बच्चे के विकास को बनाए रखने के लिए पिता की जिम्मेदारी तब तक बनी रहती है, जब तक कि बच्चा/बेटा वयस्क नहीं हो जाता।

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक दंपति के विवाद से जुड़े मामले में सुनाया । पीठ ने इस विवाद के मामले में कहा कि  प्रतिवादी-पति को प्रतिवादी की स्थिति के अनुसार, बेटे के भरण-पोषण के लिए दिसंबर 2019 से अपीलकर्ता-पत्नी को प्रति माह 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है। दिसंबर 2019 से नवंबर तक प्रति माह 50,000 रुपये का बकाया 2021 का भुगतान आज से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाए।

बता दें कि इस मामले में दंपति का विवाह 16 नवंबर, 2005 को हुआ था वह व्यक्ति तब एक मेजर के रूप में सेवा कर रहा था। दंपति का बच्चा अब 13 साल का हो गया है। बता दें कि अलग हो चुके जोड़े मई 2011 से साथ नहीं रह रहे हैं।

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