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BREAKING NEWS: कोर्ट ने दी “जाप” सुप्रीमों पप्पू यादव को जमानत, पप्पू यादव ने कहा- सच्चाई की हुई जीत

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन: जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमों पप्पू यादव को मधेपुरा कोर्ट से जमानत मिल गई है। वे 32 साल पुराने अपहरण के एक मामले में बंद थें । जैसे ही यह खबर उनके समर्थकों ने सुनी कोर्ट के बाहर भीड़ जमा हो गई। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। समर्थकों ने पप्पू यादव जिन्दाबाद के नारे लगाये । वहीं इस दौरान पप्पू यादव अपने कार्यकर्ताओं को देख भावुक हो गये। उन्होंने कहा की सच्चाई की जीत हुई है।

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पप्पू यादव ने यह भी कहा कि देश की स्थिति बहुत बुरी है। आपातकाल की तरह है। मैं सिर्फ इतना कहूंगा सच्चाई की जीत हुई है। जनता के आशीर्वाद से व्यवस्था ने जो न्याय दिया है मैं भगवान की तरह उनका स्मरण करता हूं। सत्य कभी परेशान नहीं होता एक ऐसे केस में मुझे पांच महीनों तक रखा गया जिसमें आम आदमी को एक दिन नहीं रखा जा सकता है।

ग्राम पंचायत बनिया-मुखिया प्रत्याशीलपेट

जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव को मधेपुरा कोर्ट ने अपहरण के मामले में बाइज्जत बरी कर दिया है। पप्पू यादव को जिस मामले में पुलिस ने 5 महीने पहले कोरोना काल के दौरान गिरफ्तार किया था उस मामले में उन्हें अब कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

एरकी कला,मुखिया प्रत्याशी
ग्राम पंचायत एरकी कला-मुखिया प्रत्याशी

आपको बता दें की करीब 32 साल पहले 29 जनवरी 1989 मधेपुरा के मुरलीगंज थाने में अपहरण का एक केस दर्ज हुआ था। शैलेंद्र यादव नाम के एक व्यक्ति ने केस दर्ज कराया था कि पप्पू यादव ने अपने चार साथियों के साथ मिलकर राजकुमार यादव औऱ उमा यादव नाम के दो व्यक्तियों का अपहरण कर लिया है। पुलिस जब तक कुछ कार्रवाई करती उससे पहले अपहृत बताये जा रहे दोनों व्यक्ति सकुशल अपने घर वापस लौट आये। लेकिन पुलिस का केस चलता रहा।

क्षेत्र संख्या -27, जिला परिषद् उम्मीदवार

उस वक्त पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज होने के तीन महीने बाद पप्पू यादव को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में कुछ दिनों तक जेल में रहने के बाद पप्पू यादव बेल पर रिहा होकर बाहर चले आय़े। तब तक उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हो गया था। पप्पू यादव पहले विधायक बने और फिर सांसद। एक दौर था कि सीमांचल के इलाके में पप्पू यादव के समर्थन के बगैर किसी राजनीतिक पार्टी के लिए जीत हासिल कर पाना मुमकिन नहीं था।

ग्राम पंचायत मदनपुर- मुखिया प्रत्याशी

जनवरी 1989 में दर्ज हुए मामले में न केस करने वाले एक्टिव थे ना अभियुक्त बनाये गये पप्पू यादव। लेकिन ये मुकदमा मधेपुरा कोर्ट में चल रहा था। मधेपुरा के एसीजेएम प्रथम के कोर्ट में अपहरण के इस मामले पर सुनवाई चल रही थी। इस केस में सुनवाई के दौरान पप्पू यादव हाजिर नहीं हो रहे थे। नाराज कोर्ट ने पिछले 10 फरवरी 2020 को ही पप्पू यादव को गिरफ्तार करने का वारंट जारी कर दिया था। ये वो वक्त था जब पप्पू यादव पटना से लेकर मधेपुरा तक लगातार आवाजाही कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने वारंट के आधार पर उनकी गिरफ्तारी नहीं की।

ग्राम पंचायत मनिका-मुखिया प्रत्याशी

पप्पू यादव के खिलाफ मधेपुरा के कुमारखंड थाना कांड संख्या 9/89 दर्ज था जिसको लेकर कोर्ट ने वारंट जारी किया।  ये समन मार्च 22 को 2021 में न्यायालय द्वारा जारी किया गया। कुमारखंड थानाध्यक्ष ने मामले की पुष्टि की कि मधेपुरा से पटना के लिए रवाना हुए। उसके बाद पुलिस पप्पू यादव को पटना से मधेपुरा लेकर चली गई।

क्षेत्र संख्या 10- जिला परिषद् उम्मीदवार

गौरतलब हो की जाप सुप्रीमों पप्पू यादव कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों के लिये मसीहा बनकर उभरे थे। वे हरेक जरूरतमंद लोगों की सभी तरह से मदद कर रहे थे । यहाँ तक की कोरोना संक्रमण के डर से संवैधानिक पद पर बैठे लोग जनता के बीच जाने से डर रहे थे तो लोगों को पप्पू यादव ने उनके दरवाजे और हॉस्पिटल तक जाकर मदद पहुंचाई थी । लेकिन इसी बीच उन्हें 32 साल पुराने मामले में जेल भेज दिया गया ।

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