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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: अब बिहार में आपराधिक इतिहास को छुपाकर अदालत से बेल लेना आसान नहीं होगा। पटना हाई कोर्ट इस मामले में अब सख्त हो गया है। पटना हाई कोर्ट ने कहा की प्रत्येक निचली अदालत को बेल देने से पहले पूरी आपराधिक इतिहास की जानकारी लेनी होगी।
निचली अदालतों को यह दर्ज करना होगा की आरोपी के खिलाफ पहले से कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं।
हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि निचली अदालत अब लोक अभियोजक या पुलिस पदाधिकारियों से मिले आपराधिक इतिहास एवं अन्य जरूरी मापदंडों के आधार पर ही आरोपित की जमानत याचिका को मंजूर या खारिज करेगी। ऐसे में अब जमानत लेना आसान नहीं होगा।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने अनिल बैठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। बताते चलें कि उक्त जमानत याचिका में आरोपी ने अपने दस से अधिक आपराधिक इतिहास को छिपाते हुए अदालत के समक्ष जमानत अर्जी दी थी।
इस पर कोर्ट संज्ञान लेते हुए मामले की जांच करा धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें की बिहार में आपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं । अपराधिक लोगों को आसानी से बेल मिल जाता है और ये बाहर आकर फिर से कोई नई घटना को अंजाम दे देते हैं ।
इन्हीं सब कारणों से हाई कोर्ट ने अब सख्त रूख अपना लिया है। पटना हाई कोर्ट ने इस आदेश की प्रति सभी जिला न्यायालयों को भी देने का निर्देश दिया है
अब हाई कोर्ट,पटना के इस आदेश के बाद बेल लेना आसान नहीं होगा।