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बड़ी खबर: जातीय जनगणना को लेकर CM नीतीश से मिले तेजस्वी, CM नीतीश तेजस्वी से सहमत 

वहीं, कर्नाटक राज्य की तरह जनगणना कराने के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में उन्होंने सुझाव मिलने के बाद डॉक्यूमेंट मंगाई की वहां कैसे जनगणना हुई है

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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट

बिहार नेशन:  बिहार के राजनीतिक गलियारे से बड़ी खबर आ रही है जहाँ जातीय जनगणना को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने विपक्ष के अन्य नेताओं के साथ सीएम नीतीश से भी मुलाकात की है। उन्होंने सीएम नीतीश से मिलकर जातीय जनगणना कराने को लेकर बात की। उन्होंने कहा की सीएम इस मामले को लेकर स्वयं पीएम से मुलाकात करें या फिर कर्नाटक सरकार की तरह  राजकोष से जनगणना कराएं ।

वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी की बात पर मुख्यमंत्री ने सहमति जताते हुए कहा कि वे फिलहाल पार्टी की बैठक के लिए दिल्ली जा रहे हैं। लेकिन वहां से लौटने के बाद वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे और उनसे मिलने का समय लेंगे। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि कथनानुसार शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई है। जातीय जनगणना हो इस सिलसिले में मुख्यमंत्री से बातचीत हुई।. मालूम हो कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से विधानसभा से दो बार पास किया था। लेकिन कुछ दिन पहले ही पार्लियामेंट में केंद्र सरकार ने इसे मना कर दिया।

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तेजस्वी ने कहा, ” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कहते रहे हैं कि वे जातीय जनगणना के पक्ष में हैं। लेकिन जनगणना कराएगा कौन? इसलिए बिहार विधानसभा के मान सम्मान के लिए हम सभी लोगों ने मुख्यमंत्री से मिलकर ये प्रस्ताव रखा कि वे प्रधानमंत्री से सारे दल का एक डेलिगेशन बनाकर मिलें। इस बाबत बातचीत करने के लिए वो उनसे समय लें। इस पर मुख्यमंत्री ने भी सहमति जताई”।

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वहीं, कर्नाटक राज्य की तरह जनगणना कराने के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में उन्होंने सुझाव मिलने के बाद डॉक्यूमेंट मंगाई की वहां कैसे जनगणना हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मंगा कर सारी चीजों को देख लेते हैं और इसमे क्या हो सकता है, वो भी दिखवा लेंगे।

आपको बता दें कि बिहार में विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष ने भी जातीय जनगणना को लेकर सर्वसम्मति से बिल को दो बार पारित किया है। लेकिन इसे केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया । वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है की इस माँग को लेकर उनके पिता और राष्ट्रीय अध्यक्ष  राजद ने काफ़ी संघर्ष किया है। अगर हमलोगों को यह जबतक नहीं पता चलेगा की किसकी कितनी भागीदारी है तो हमलोग कैसे बजट या योजनाओं को उनके हित में बनाएंगे। इसलिये यह जरूरी है। यह जानने का हक बिहार की सभी जाति की जनता को है।

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